Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण (Thermal Properties of Matter) Solutions
Question - 11 : - ग्लिसरीन का आयतन प्रसार गुणांक 49 x 10-5 K-1 है। ताप में 30°C की वृद्धि होने पर इसके घनत्व में क्या आंशिक परिवर्तन होगा?
Answer - 11 : -
Question - 12 : - 8.0 kg द्रव्यमान के किसी ऐलुमिनियम के छोटे ब्लॉक में छिद्र करने के लिए किसी 10 kw की बरमी का उपयोग किया गया है। 2.5 मिनट में ब्लॉक के ताप में कितनी वृद्धि हो जाएगी? यह मानिए कि 50% शक्ति तो स्वयं बरमी को गर्म करने में खर्च हो जाती है अथवा परिवेश में लुप्त हो जाती है। ऐलुमिनियम की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.91 J g-1K-1 है।
Answer - 12 : -
बरमी की शक्ति P = 10 किलोवाट = 104 वाट = 104 जूल/सेकण्ड
समय t =2.5 मिनट =2.5 x 60 सेकण्ड = 150 सेकण्ड
∴ बरमीद्वारा प्रयुक्त ऊर्जा w = P x T = (104 जूल/सेकण्ड) x 150 सेकण्ड
= 1.5 x 106 जूल।
m = 8.0 किग्रा केऐल्युमीनियम के छोटे ब्लॉकद्वारा बरमी की प्रयुक्त ऊर्जासे ली गयी ऊर्जा

Question - 13 : - 2.5 kg द्रव्यमान के ताँबे के गुटके को किसी भट्टी में 500°C तक तप्त करने के पश्चात् किसी बड़े हिम-ब्लॉक पर रख दिया जाता है। गलित हो सकने वाली हिम की अधिकतम मात्रा क्या है? ताँबे की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.39 J g-1 K-1; बर्फ की संगलन ऊष्मा= 335 Jg-1.
Answer - 13 : -
यहाँ गुटके का द्रव्यमान m = 2.5
किग्रा गुटके की विशिष्ट ऊष्माधारिता s = 0.39 जूल-ग्राम-1-K-1
= 0.39 x 103 जूल-किग्रा-1°C-1
गुटके का प्रारम्भिक तापT1 = 500°C,
अन्तिम ताप T2 = बर्फ का ताप = 0°C
∴ गुटकेके ताप में कमी∆T = (T1 – T2) = 500°C
माना गलित होने वाले बड़े हिम ब्लॉक कीमात्रा = mबर्फ
बर्फ के संगलन कीऊष्मा L =335 जूल-ग्राम-1 = 335 x 103 जूल-किग्रा-1
ऊष्मामिति के सिद्धान्त से,
गुटके द्वारा दी गयी ऊष्मा= बर्फ द्वारा गलने में ली गयीऊष्मा

Question - 14 : - किसी धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के प्रयोग में 0.20 kg के धातु के गुटके को 150°C पर तप्त करके, किसी ताँबे के ऊष्मामापी (जल तुल्यांक = 0.025 kg) जिसमें 27°C का 150 cm3 जल भरा है, में गिराया जाता है। अन्तिम ताप 40°c है। धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता परिकलित कीजिए। यदि परिवेश में क्षय ऊष्मा उपेक्षणीय न मानकर परिकलन किया जाता है, तब क्या आपका उत्तर धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के वास्तविक मान से अधिक मान दर्शाएगा अथवा कम?
Answer - 14 : -
धातु के गुटके काद्रव्यमान m =0.20 किग्री
माना इसकी विशिष्ट ऊष्मा = s
जल तथा ऊष्मामापी कीताप T2 =27°C
मिश्रण को प्रारम्भिक तापT1 = 150°C
मिश्रण का अन्तिम तापT = 40°C
ऊष्मामापी का तुल्यांक W = Ms = 0.025 किग्रा ।
जल का आयतन = 150 सेमी3 = 150 x 10-6 मी3
जल का घनत्व = 103 किग्रा/मी3
∴ जलेका द्रव्यमान M = आयतन x घनत्व
= 150 x 10-6 मी3 x 103 किग्रा/मी3 = 0.150 किग्रा
धातु के गुटके द्वारा दीगयी ऊष्मा = m x s x (T1 – T)
= 0.20 x s x (150-40) = 0.20 x 110 x s
(ऊष्मामापी + जल) द्वारा ली गयी ऊष्मा=(mजल x Sजल + W)x (T – T2)
=(0.150 x 1+ 0.025) x (40-27)
=(0.175 x 13) किलोकैलोरी
कैलोरीमिति के सिद्धान्त से,
दी गयी ऊष्मा = लीगयी ऊष्मा
∴ 0.20 x 110 x 5 = 0.175 x 13
किलोकैलोरी/किग्रा-°C
= 0.103 किलोकैलोरी/किग्रा-K
Question - 15 : - कुछ सामान्य गैसों के कक्ष ताप पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं के प्रेक्षण नीचे दिए गए हैं।
इन गैसों की मापी गई मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ एक परमाणुक गैसों की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं से सुस्पष्ट रूप से भिन्न हैं। प्रतीकात्मक रूप में किसी एक परमाणुक गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता 2.92 cal/mol K होती है। इस अन्तर का स्पष्टीकरण कीजिए। क्लोरीन के लिए कुछ अधिक मान (शेष की अपेक्षा) होने से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
Answer - 15 : -
एक परमाणुक गैसों के अणुओं में केवल स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा होती है जबकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं में स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त घूर्णी गतिज ऊर्जा भी होती है। ऐसा इसलिए सम्भव है क्योंकि द्विपरमाणुक गैसों के अणु अन्तराणविक अक्ष के लम्बवत् दो अक्षों के परितः घूर्णन भी कर सकते हैं। जब किसी गैस को ऊष्मा दी जाती है तो यह ऊष्मा अणुओं की सभी प्रकार की ऊर्जाओं में समान वृद्धियाँ करती है। अब चूँकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं की ऊर्जा के प्रकार अधिक होते हैं इसीलिए इनकी मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ भी अधिक होती हैं। क्लोरीन की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता की अधिक होना यह प्रदर्शित करता है कि इसके अणु स्थानान्तरीय तथा घूर्णी गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त कम्पनिक गतिज ऊर्जा भी रखते हैं।
Question - 16 : - CO2 के p-T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) किस ताप व दाब पर co2 की ठोस, द्रव तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्य में सहवर्ती हो सकती
(b) co2 के गलनांक तथा क्वथनांक पर दाब में कमी का क्या प्रभाव पड़ता है?
(c) co2 के लिए क्रान्तिक ताप तथा दाब क्या हैं? इनको क्या महत्त्व है?
(d) (a) – 70°C ताप व 1 atm दाब, (b) – 60°C ताप व 10 atm दाब, (c) 15°C ताप व 56 atm दाब पर co2 ठोस, द्रव अथवा गैस में किस अवस्था में होती है?
Answer - 16 : -
(a) – 56.6°C ताप तथा 5.11 atm दाब पर (त्रिक बिन्दु के संगत)।
(b) दाब में कमी होने पर दोनों घटते हैं।
(c) बिन्दु ८ के संगत, क्रान्तिक ताप = 31.1°C तथा क्रान्तिक दाब = 73.0 atm इससे उच्च ताप पर CO2 द्रवित नहीं होगी, चाहे उस पर कितना भी अधिक दाब आरोपित किया जाए।
(d) (a) वाष्प अर्थात् गैसीय अवस्था में, (b) ठोस अवस्था में, (c) द्रव अवस्था में।
Question - 17 : - CO2 के p-T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) 1 atm दाब तथा -60°C ताप पर CO2 का समतापी सम्पीडन किया जाता है? क्या यह द्रव प्रावस्था में जाएगी?
(b) क्या होता है जब 4 atm दाब पर CO2 का दाब नियत रखकर कक्ष ताप पर शीतन किया जाता है।
(c) 10 atm दाब तथा -65°C ताप पर किसी दिए गए द्रव्यमान की ठोस CO2 को दाब नियत रखकर कक्ष ताप तक तप्त करते समय होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
(d) CO2 को 70°C तक तप्त तथा समतापी सम्पीडित किया जाता है। आप प्रेक्षण के लिए इसके किन गुणों में अन्तर की अपेक्षा करते हैं?
Answer - 17 : -
(a) समतापी सम्पीडन का अर्थ है कि गैस को -60°C ताप पर दाब अक्ष के समान्तर ऊपर को ले जाया जाता है। इसके लिए हम -60°C ताप पर दाब अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। हम देख सकते हैं। कि यह रेखा गैसीय क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है और द्रव क्षेत्र से नहीं गुजरती। | इसका अर्थ यह है कि गैस बिना द्रवित हुए ठोस में बदल जाएगी।
(b) इस बार हम 4 atm दाब पर ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। हम देखते हैं कि यह रेखा वाष्प क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है। इसका अर्थ है गैस, द्रव अवस्था में आए बिना ही ठोस अवस्था में संघनित हो जाएगी।
(c) इस बार हम 10 atm दाब तथा -65°C ताप से प्रारम्भ करके ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। यह रेखा ठोस क्षेत्र से द्रव क्षेत्र तथा द्रव क्षेत्र से वाष्प क्षेत्र में प्रवेश करेगी।
इसका अर्थ यह है कि 10 atm दाब तथा -65°C ताप पर गैस ठोस अवस्था में होगी। गर्म किए जाने पर धीरे-धीरे यह द्रव अवस्था में आ जाएगी तथा और गर्म किए जाने पर गैसीय अवस्था में आ जाएगी। द्रव्य के तापीय गुण 309
(d)∵70°C ताप गैस के क्रान्तिक ताप से अधिक है; अत: इसे समतापी सम्पीडन द्वारा द्रवित नहीं किया जा सकता; अत: चिर स्थायी गैसों की भाँति दाब बढ़ाते जाने पर इसका आयतन कम होता जाएगा।
Question - 18 : - 101°F ताप ज्वर से पीड़ित किसी बच्चे को एन्टीपायरिन (ज्वर कम करने की दवा) दी गई जिसके कारण उसके शरीर से पसीने के वाष्पन की दर में वृद्धि हो गई। यदि 20 मिनट में ज्वर 98°F तक गिर जाता है तो दवा द्वारा होने वाले अतिरिक्त वाष्पन की औसत दर क्या है? यह मानिए कि ऊष्मा ह्रास का एकमात्र उपाय वाष्पन ही है। बच्चे का द्रव्यमान 30 kg है। मानव शरीर की विशिष्ट ऊष्मा धारिता जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के लगभग बराबर है तथा उस ताप पर जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 580 cal g-1 है।
Answer - 18 : -
बच्चे का द्रव्यमान M = 30 किग्रा
उसके ताप में कमी
Question - 19 : - थर्मोकोल का बना ‘हिम बॉक्स विशेषकर गर्मियों में कम मात्रा के पके भोजन के भण्डारण का सस्ता तथा दक्ष साधन है। 30 cm भुजा के किसी हिम बॉक्स की मोटाई 5.0 cm है। यदि इस बॉक्स में 4.0 kg हिम रखा है तो 6h के पश्चात बचे हिम की मात्रा का आकलन कीजिए। बाहरी ताप 45°C है तथा थर्मोकोल की. ऊष्मा चालकता 0.01 Js-1m-1k-1 है। (हिम की संगलन ऊष्मा = 335 x 103Jkg-1)
Answer - 19 : -
हिम बॉक्स की भुजा a = 30 cm = 0.3 m, बॉक्स की मोटाई l = 5.0 cm = 0.05 m
बाहरी ताप T1 = 45°C, अन्दर (बर्फ) का ताप T2 = 0°C
समय t = 6h = 6 x 60 x 60 s , बर्फ का द्रव्यमान = 4.0 kg
माना ईसे ऊष्मा को प्राप्त करके m द्रव्यमान बर्फ पिघल जाती है। इस प्रक्रिया में बर्फ द्वारा अवशोषित ऊष्मा
Question - 20 : - किसी पीतल के बॉयलर की पेंदी का क्षेत्रफल 0.15 m2 तथा मोटाई 1.0 cm है। किसी गैस स्टोव पर रखने पर इसमें 6.0 kg/min की दर से जल उबलता है। बॉयलर के सम्पर्क की ज्वाला के भाग का ताप आकलित कीजिए। पीतल की ऊष्मा चालकता = 109 Js-1m-1K-1; जल की वाष्पन ऊष्मा = 2256 x 103 Jkg-1है।
Answer - 20 : -
पेंदी का क्षेत्रफल A = 0.15 m2, मोटाई l = 1.0 cm = 0.01 m,
पीतल की ऊष्मा चालकता K = 109 Js-1m-1K-1,
जल की वाष्पन ऊष्माL = 2256 x 103 J kg-1,
जल उबलने की दर = 6.0 kg/min
मानी ज्वाला का ताप T1 है जबकिबॉयलर का आन्तरिक ताप T2 = 100°C
t = 1 min या60 s में बॉयलर के भीतर प्रविष्ट होनेवाली ऊष्मा
