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Chapter 1 सम्बन्ध एवं फलन (Relations and Functions) Ex 1.4 Solutions

Question - 1 : - मान लीजिए कि समुच्चय { 1,2,3,4,5 } में एक द्विआधारी संक्रिया *’, a *’ b = a तथा b का HCF द्वारा परिभाषित है। क्या संक्रिया *’ उपर्युक्त प्रश्न 4 में परिभाषित संक्रिया * के समान है? अपने उत्तर का औचित्य भी बतलाइए।

Answer - 1 : -

प्रश्नानुसार, समुच्चय {1, 2, 3, 4, 5} संक्रिया a *’ b H.C.F. a तथा b द्वारा परिभाषित है। द्विआधारी संक्रिया * के लिए सारणी निम्नलिखित होगी

 

*’

1

2

3

4

5

1

1

1

1

1

1

2

1

2

1

2

1

3

1

1

3

1

1

4

1

2

1

4

1

5

1

1

1

1

5

यह संक्रिया सारणी प्रश्न 4 में दी गई संक्रिया सारणी के समान है।
अतः
द्विआधारी संक्रिया *’ तथा * समान होगी।

Question - 2 : -
मान लीजिए कि N में एक द्विआधारी संक्रिया *, a* b = a तथा b का L.C.M. द्वारा परिभाषित है। निम्नलिखित ज्ञात कीजिए।
(i) 5 * 7, 20 * 16
(ii) क्या संक्रिया * क्रमविनिमेय है?
(iii) क्या * साहचर्य है?
(iv) N में * का तत्समक अवयव ज्ञात कीजिए।
(v) N के कौन-से अवयव * संक्रिया के लिए व्युत्क्रमणीय हैं?

Answer - 2 : -

प्रश्न में समुच्चय N = प्राकृत संख्याओं का समुच्चय में * संक्रिया, a * b = a, b का L.C.M. द्वारा परिभाषित है।
(i)
5 * 7 = 5
7 का L.C.M. = 35
20 * 16 = 20
वे 16 का L.C.M. = 80
5 * 7 = 35 , 20 *16 =80

(ii)
a*b = a, b
का  L.C.M.
b* a = b, a
का  L.C.M.
a * b तथा b* a का L.C.M. बराबर है।
इसलिए
  a * b = b * a
स्पष्ट है कि संक्रिया * क्रमविनिमेय द्विआधारी संक्रिया है।

(iii)
a * (b * c) = a * (b, c
का L.C.M.)
= a, b, c
का  L.C.M.
(a*b)* c = (a, b
का L.C.M.) *C
= a, b, c
का L.C.M.
a* (b * c) तथा (a * b)* c के L.C.M. बराबर हैं।
(a * b)* c = a * (b* c)
स्पष्ट है कि संक्रिया * साहचर्य द्विआधारी संक्रिया है।

(iv)
*
संक्रिया का तत्समक अवयव 1 है।
1 * a = a * 1 = a

(v)
N * N → N, *
संक्रिया का a * b = a, b का L.C.M. द्वारा परिभाषित किया गया है। यदि a = 1, b = 1, a * b = 1 अन्यथा नहीं
1 * 1 =1
1 के लिए व्युत्क्रमणीय है।

Question - 3 : - प्रश्न 9 में दी गई संक्रियाओं में किसी का तत्समक है, वह बतलाइए।

Answer - 3 : -

(i)
दिया है, a * b = a – b यदि e तत्समक अवयव हो तब
a * e = a – e 
तथा  e * a = e – a
a – e ≠ e – a 
  a * e ≠ e * a
अत :
स्पष्ट है कि e का अस्तित्व नहीं है।

(ii)
दिया है, a * b = a2 +b2
a * e = a2 +e2  तथा e * a = e2+a2
हम देखते हैं कि
a *e = e * a ≠ 1
अत :  
स्पष्ट है कि e का अस्तित्व नहीं है।

(iii)
दिया है, a * b = a+ ab
a* e = a + ae
तथा
हम देखते हैं कि a * e ≠ e * a ≠ a
अत :
स्पष्ट है कि e का अस्तित्व नहीं है।

(iv)
दिया है, a* b = (a – b)2
a * e = (a – e)2 ≠ a
तथा e * a = (e – a)2 ≠a
a * e =e * a ≠ a
अत :
स्पष्ट है कि e का अस्तित्व नहीं है।

अतः
स्पष्ट है कि e का अस्तित्व नहीं है।

Question - 4 : -
बताइए कि क्या निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य हैं। औचित्य भी बतलाइए।
(i) समुच्चय N में किसी भी स्वेच्छ द्विआधारी संक्रिया * के लिए a * a = a, ∀ a ∈ N
(ii) यदि N में * किसी क्रमविनिमेय द्विआधारी संक्रिया है तो a* (b * c) = (c * b) * a

Answer - 4 : -

प्रश्नानुसार, द्विआधारी संक्रिया समुच्चय N पर इस प्रकार परिभाषित की गयी है कि a * a = a, ∀ a ∈ N
(i)
यहाँ पर * संक्रिया में केवल एक ही अवयव का प्रयोग किया गया है।
अत :
स्पष्ट है कि यह कथन असत्य है।
(ii)
वास्तविक संख्याओं में समुच्चय पर संक्रिया * क्रमविनिमेय है।
b * c = c * b
∴ तथा (c * b) * a = (b * c) * a = a * (b * c)
∴ a* (b * c) = (c * b) * a
∴ यह कथन सत्य है।

Question - 5 : - a * b= a3 + b3 प्रकार से परिभाषित N में एक द्विआधारी संक्रिया * पर विचार कीजिए। अब निम्नलिखित में से सही उत्तर का चयन कीजिए
(A) *
साहचर्य तथा क्रमविनिमेय दोनों है।
(B) *
क्रमविनिमेय है किन्तु साहचर्य नहीं है।
(C) *
साहचर्य है किन्तु क्रमविनिमेय नहीं है।
(D) *
तो क्रमविनिमेय है और साहचर्य है।

Answer - 5 : - प्रश्नानुसार, द्विआधारी संक्रिया * को समुच्चय N पर इस प्रकार परिभाषित किया गया है कि
a * b= a3 + b3









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