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Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Solutions

Question - 1 : -
कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि………………। (हुई है/नहीं हुई है)
(ख) ……………..क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक/कृषि)
(ग) ………………..क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार-सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/असंगठित)
(घ) भारत में………………संख्या में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। (बड़ी/छोटी)
(ङ) कपास एक. ……………उत्पाद है और कपड़ा एक……………….उत्पाद है। (प्राकृतिक/विनिर्मित)
(च) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ…………….हैं। (स्वतंत्र/परस्पर निर्भर)

Answer - 1 : - (क) नहीं हुई है 

(ख) कृषि 
(ग) संगठित 
(घ) बड़ी 
(ङ) प्राकृतिक, विनिर्मित 
(च) परस्पर निर्भर ।

Question - 2 : -
सही उत्तर का चयन करें

(अ) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित हैं।
(क) रोजगार की शर्ते
(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(ग) उद्यमों के स्वामित्व
(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या

Answer - 2 : - (ग) उद्यमों के स्वामित्व

Question - 3 : -
 एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन …………….. क्षेत्रक की गतिविधि है।

(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सूचना प्रौद्योगिकी

Answer - 3 : - (क) प्राथमिक

Question - 4 : -
किसी विशेष वर्ष में उत्पादित …………….. “के मूल्य के कुल योगफल को जी०डी०पी० कहते हैं।

(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(घ) सभी मध्यवर्ती एवं अंतिम वस्तुओं और सेवाओं

Answer - 4 : - (घ) सभी मध्यवर्ती एवं अंतिम वस्तुओं और सेवाओं

Question - 5 : -
जी०डी०पी० के मदों में वर्ष 2003 में तृतीयक क्षेत्र की हिस्सेदारी …………….. है।

(क) 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत के बीच
(ख) 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत के बीच
(ग) 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत के बीच
(घ) 70 प्रतिशत ।

Answer - 5 : - (ग) 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत के बीच

Question - 6 : - निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
कृषि क्षेत्रक की समस्याएँ

1. असिंचित भूमि
2. फसलों का कम मूल्य
3. कर्ज भार
4. मंदी काल में रोजगार का अभाव
5. कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता

कुछ संभावित उपाय

(अ) कृषि-आधारित मिलों की स्थापना
(ब) सहकारी विपणन समिति
(स) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली
(द) सरकार द्वारा नहरों का निर्माण
(य) कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना।

Answer - 6 : - 1. (द) 

2. (ब) 
3. (य) 
4. (अ) 
5. (स) 

Question - 7 : -
असंगत की पहचान करें और बताइए क्यों?

(क) पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील
(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
(घ) एम०टी०एन०एल०, भारतीय रेल, एयर इंडिया, सहारा एयरलाइन्स, ऑल इंडिया रेडियो ।

Answer - 7 : -

(क) पर्यटन-निर्देशक असंगत है, क्योंकि धोबी, दर्जी, कुम्हारे आर्थिक गतिविधियों में लगे हैं जिससे उन्हें धन प्राप्त हो रहा है जबकि पर्यटन-निर्देशक अनार्थिक क्रिया कर रहा है।
(ख) सब्जी विक्रेता असंगत है, क्योंकि बाकी तीनों तृतीयक क्षेत्रक में लगे हैं, जबकि सब्जी विक्रेता तृतीयक क्षेत्रक में नहीं आता।
(ग) मोची असंगत हैं, क्योंकि डाकिया, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल सार्वजनिक क्षेत्रक में आते हैं जबकि मोची निजी क्षेत्रक में है।

Question - 8 : - क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?

Answer - 8 : - समाज में लोग अपनी आजीविका कमाने के लिए विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों में लगे रहते हैं। कोई वस्तुओं का उत्पादन करता है, कोई वस्तुओं को बेचता है या फिर अन्य काम में लगे रहते हैं। इन सब आर्थिक क्रियाओं को तभी समझा जा सकता है जब उन्हें विभिन्न वर्गों में विभाजित किया जाए। इसलिए विभिन्न आर्थिक क्रियाओं को प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र में बाँट कर उन्हें समझने का प्रयास किया गया है। प्राथमिक क्षेत्र में केवल वे क्रियाएँ शामिल की गई हैं जो प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करके ही की जा सकती हैं, जैसे-कृषि कार्य, पशुपालन आदि। द्वितीयक क्षेत्र में वे क्रियाएँ शामिल हैं जो प्राथमिक क्षेत्र के संसाधनों का प्रयोग करके विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करती हैं, जैसे-गन्ने से चीनी बनाना तथा कपास से कपड़ा तैयार करना । तृतीयक क्षेत्र में किसी वस्तु का निर्माण न करके केवल सेवाएँ प्रदान की जाती हैं, जैसे-बैंकिंग, परिवहन तथा संचार सेवाएँ आदि। ये महत्वपूर्ण क्रियाएँ हैं क्योंकि अन्य दोनों प्रकार की क्रियाओं का विकास इन्हीं पर निर्भर करता है।

Question - 9 : - इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जी०डी०पी० ) पर ही क्यों केन्द्रित करना चाहिए? चर्चा करें।

Answer - 9 : -

इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्र को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद पर ही केंद्रित करना चाहिए क्योंकि ये दोनों, रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यही हमारी पंचवर्षीय योजनाओं के प्राथमिक लक्ष्य भी रहे हैं। हमने जाना कि तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। समय के साथ-साथ तीनों क्षेत्रकों के योगदान में वृद्धि हुई है। परंतु सकल घरेलू उत्पाद में सबसे अधिक योगदान तृतीयक क्षेत्र का रहा है। हम जानते हैं कि रोजगार सभी क्षेत्रों में बढ़ा है किंतु अभी भी भारत की लगभग 60% जनता प्राथमिक क्षेत्रक में लगी हुई है। यह सारी जानकारी हमें तभी मिल पाई है जब हमने उनका सकल घरेलू उत्पाद तथा रोजगार के क्षेत्र में मूल्यांकन कर लिया है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक क्षेत्र को सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार से जोड़कर कई लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं जैसे-गरीबी निवारण आधुनिक तकनीक का विकास तथा आर्थिक क्षेत्र में विकास की असमानताओं को
कम करना आदि।

Question - 10 : - जीविका के लिए काम करनेवाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।

Answer - 10 : -

जीविका के लिए काम करने वाले आस-पास के वयस्कों को हम निम्नलिखित आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं
(क) कार्य की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण

  1. प्राथमिक क्षेत्र-वे सभी आर्थिक क्रियाएँ जो प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग द्वारा की जाती हैं उन्हें प्राथमिक क्षेत्र में रखा जाता है, जैसे-कृषि कार्य, खनन कार्य, मत्स्य पालन आदि।
  2. द्वितीयक क्षेत्र-इस क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त विभिन्न उत्पादों का प्रयोग करके विभिन्न उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है, जैसे-कपास से कपड़ा बनाना, गन्ने से चीनी बनाना आदि ।
  3. तृतीयक क्षेत्र-इस क्षेत्र में किसी वस्तु का निर्माण नहीं किया जाता बल्कि सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। ये सेवाएँ प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अंतर्गत बैंकिंग, बीमा, रेलवे संचार एवं परिवहन आदि को शामिल किया जाता है।
(ख) रोजगार की दशाओं के आधार पर वर्गीकरण- रोजगार की दशाएँ किस प्रकार की हैं इस आधार पर हम इसे दो भागों में बाँट सकते हैं। 1. संगठित क्षेत्र तथा 2. असंगठित क्षेत्र ।

1. संगठित क्षेत्र-इसमें वे गतिविधियाँ आती हैं जिनमें रोजगार की अवधि नियमित होती है तथा इन्हें सरकारी नियमों को मानना पड़ता है।
2. असंगठित क्षेत्र-ये क्षेत्र सरकारी नियंत्रण से बाहर होता है। इसमें रोजगार की अवधि तथा नियम, उपनिय आदि निश्चित नहीं होते।

(ग) उद्योगों के स्वामित्व के आधार पर वर्गीकरण- विभिन्न औद्योगिक इकाइयाँ किसके स्वामित्व में हैं इस आधार पर इनका वर्गीकरण सार्वजनिक तथा निजी उद्योगों में किया जा सकता है। उपरोक्त आधारों पर हम अपने आस-पास के लोगों को इस प्रकार से सूचीबद्ध कर सकते हैं
1. किसान
2. सरकारी स्कूल के अध्यापक
3. वकील
4. दर्जी
5. धोबी
6. डाकिया
7. श्रमिक
8. लिपिक

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