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Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन (Haloalkanes and Haloarenes) Solutions

Question - 1 : -
निम्नलिखित यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए –
(i) 2- क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन
(ii) 1-क्लोरो-4-एथिलसाइक्लोहेक्सेन
(iii) 4-तृतीयक-ब्यूटिल-3-आयोडोहेप्टेन
(iv) 1, 4-डाइब्रोमोब्यूट-2-ईन ।
(v) 1-ब्रोमो-4-द्वितीयक-ब्यूटिल-2-मेथिलबेंजीन।

Answer - 1 : -


Question - 2 : - ऐल्कोहॉल तथा KI की अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग क्यों नहीं करते हैं?

Answer - 2 : -

2KI + H2SO4 →2KHSO4 + 2HI
2HI + H2SO4 → 2H2O + I2 +SO2
इन अभिक्रियाओं में H,SO, एक ऑक्सीकारक है। यह अभिक्रिया के दौरान निर्मित HI को I2 में ऑक्सीकृत कर देता है एवं HI तथा ऐल्कोहॉल की क्रिया से ऐल्किल हैलाइड के निर्माण को रोकता है। इस समस्या के निदान के लिए H2SO4 के स्थान पर फॉस्फोरिक अम्ल (H3PO4) का प्रयोग किया जाता है, जो कि अभिक्रिया के लिए HI उपलब्ध कराता है तथा H2SO4 के समान I2 नहीं देता है।

Question - 3 : - प्रोपेन के विभिन्न डाइहैलोजेन व्युत्पन्नों की संरचनाएँ लिखिए।

Answer - 3 : - प्रोपेन(CH3 CH2 CH3) के चार समावयवी डाइहैलोजन व्युत्पन्न सम्भव हैं।

Question - 4 : - C5H12 अणुसूत्र वाले समावयवी ऐल्केनों में से उसको पहचानिए जो प्रकाश रासायनिक क्लोरीनीकरण पर देता है
(i)
केवल एक मोनोक्लोराइड
(ii)
तीन समावयवी मोनोक्लोराइड
(iii)
चार समावयवी मोनोक्लोराइड

Answer - 4 : -


निओपेन्टेन निओपेन्टेन के सभी H-परमाणु तुल्य हैं अतएव किसी भी H-परमाणु के प्रतिस्थापन से समान उत्पाद प्राप्त होता है।
में समान H-परमाणुओं के तीन समुच्चय हैं, जिन्हें a, b तथा c से चिह्नित किया गया है। प्रत्येक समुच्चय से किसी एकसमान हाइड्रोजन के विस्थापन से समान उत्पाद प्राप्त होता है। अत: तीन समावयवी मोनोक्लोराइड सम्भव हैं।

चार प्रकार के तुल्य H-परमाणु उपस्थित हैं, जिन्हें a, b,c तथा d से चिह्नित किया गया है। अतः चार समावयवी मोनोक्लोराइड संभव हैं।

Question - 5 : - निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया के लिए मोनोहैलो उत्पाद की संरचना बनाइए-

Answer - 5 : -


Question - 6 : - निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया के लिए मोनोहैलो उत्पाद की संरचना बनाइए-

Answer - 6 : -


Question - 7 : -
निम्नलिखित यौगिकों को क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
1. ब्रोमोमेथेन, ब्रोमोफॉर्म, क्लोरोमेथेन, डाइब्रोमोमेथेन
2. 1-क्लोरोप्रोपेन, आइसोप्रोपिल क्लोराइड, 1-क्लोरोब्यूटेन

Answer - 7 : -

  1. क्वथनांकों का बढ़ता क्रम है- क्लोरोमेथेन < ब्रोमोमेथेन < डाइब्रोमोमेथेन < ब्रोमोफॉर्म
    कारण (Reason) – आण्विक द्रव्यमान बढ़ने के साथ क्वथनांक बढ़ता है।
  2. क्वथनांकों का बढ़ता क्रम है
    आइसोप्रोपिल क्लोराइड < 1-क्लोरोप्रोपेन < 1-क्लोरोब्यूटेन
    कारण (Reason) – आण्विक द्रव्यमान बढ़ने पर क्वथनांक बढ़ता है। समावयवी ऐल्किल हैलाइडों में शाखित समावयवी का क्वथनांक निम्न होता है।

Question - 8 : - निम्नलिखित युग्मों में से आप कौन-से ऐल्किल हैलाइड द्वारा SK 2क्रियाविधि से अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करने की अपेक्षा करते हैं? अपने उत्तर को समझाइए।

Answer - 8 : - यदि विशेष सूत्र के समावयवियों में छोड़ने वाला समूह (leaving group) समान हो तब SN 2 क्रियाविधि के सापेक्ष समावयवियों की क्रियाशीलता त्रिविम बाधा (steric hindrance) बढ़ने के साथ घटती है, अतः
(i) CH3 CH2 CH2 CH2 Br(1°
ऐल्किल हैलाइड)CH3CH2–CHBr – CH3 (2° ऐल्किल हैलाइड) से अधिक क्रियाशील होता है।

(2° ऐल्किल हैलाइड), (CH3)3 CBr (3° ऐल्किल हैलाइड) से अधिक क्रियाशील होता है।

(iii) दोनोंऐल्किल हैलाइड हैं, लेकिन (II) ऐल्किल हैलाइड में C2 पर स्थित- CH3 समूह Br परमाणु के निकट स्थित है जबकि (I) ऐल्किल हैलाइड में C3 पर स्थित -CH3 समूह Br परमाणु से कुछ दूर स्थित है। इसके परिणामस्वरूप ऐल्किल हैलाइड (II) अधिक त्रिविम बाधा अनुभव करता है, अतएव SN 2 अभिक्रिया में (I), (II) की तुलना में अधिक तीव्रता से क्रिया करेगा।

Question - 9 : - हैलोजेन यौगिकों के निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा यौगिक तीव्रता से SN 1 अभिक्रिया करेगा?

Answer - 9 : -

SN 1 अभिक्रिया में हैलोजेन यौगिकों की क्रियाशीलता आयनन के परिणामस्वरूप निर्मित कार्बोधनायन के स्थायित्व पर निर्भर करती है। स्थायित्व का क्रम तृतीयक > द्वितीयक > प्राथमिक है। अत:
(i) (a) 3°
ऐल्किल क्लोराइड है जबकि (b) 2° ऐल्किल क्लोराइड है। अतएव (a) SN 1अभिक्रिया में अधिक क्रियाशील है।
(ii) (a) 2°
ऐल्किल क्लोराइड है जबकि (b) 1° ऐल्किल क्लोराइड है। अतएवऐल्किल क्लोराइड sN 1 अभिक्रिया में अधिक क्रियाशील है।

Question - 10 : - निम्नलिखित में A,B,C,D,E,R तथा R’ को पहचानिए –

Answer - 10 : -


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