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Chapter 12 लाभदायक एवं हानिकारक पौधे तथा जन्तु Solutions

Question - 1 : -
निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प छाँटकर लिखिए-
(क) साइट्रस (नींबू जाति) फलों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है-
(i) विटामिन A
(ii) विटामिन B
(iii) विटामिन C 
(iv) विटामिन D

(ख) मलेरिया की दवा किस पौधे से प्राप्त होती है ?
(i) नीम
(ii) सिनकोना 
(iii) कपास
(iv) सर्पगंधा

(ग) रेशा प्रदान करने वाला पौधा नहीं है-
(i) नीम 
(ii) कपास
(iii) जूट
(iv) नारियल

(घ) सबसे अधिक प्रोटीन पाया जाता है-
(i) अनाजों में
(ii) दालों में 
(iii) फलों में ।
(iv) सब्जियों में

Answer - 1 : -

(क) साइट्रस (नींबू जाति) फलों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है-
(i) विटामिन A
(ii) विटामिन B
(iii) विटामिन C (✓)
(iv) विटामिन D

(ख) मलेरिया की दवा किस पौधे से प्राप्त होती है ?
(i) नीम
(ii) सिनकोना (✓)
(iii) कपास
(iv) सर्पगंधा

(ग) रेशा प्रदान करने वाला पौधा नहीं है-
(i) नीम (✓)
(ii) कपास
(iii) जूट
(iv) नारियल

(घ) सबसे अधिक प्रोटीन पाया जाता है-
(i) अनाजों में
(ii) दालों में (✓)
(iii) फलों में ।
(iv) सब्जियों में

Question - 2 : -
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) हरी सब्जियों से ………….. तथा ………………. …………. प्राप्त होते हैं।
(ख) मच्छरों से ……………., ……………….. तथा …………… रोग फैलते हैं।
(ग) ………………… मछली के यकृत से तेल निकाला जाता है।
(घ) मधुमक्खियों से शहद तथा …………… मिलता है।

Answer - 2 : -

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) हरी सब्जियों से विटामिन तथा खनिज लवण प्राप्त होते हैं।
(ख) मच्छरों से डेंगू, चिकनगुनिया तथा मलेरिया रोग फैलते हैं।
(ग) शार्क मछली के यकृत से तेल निकाला जाता है।
(घ) मधुमक्खियों से शहद तथा मोम मिलता है।

Question - 3 : -
निम्नलिखित कथनों में सही के सामने सही (✓) का तथा गलत के सामने गलत (✗) का चिह्न लगाइये-
(क) मादक-पदार्थ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। 
(ख) रेशम के कीड़े शहतूत के पेड़ पर पाले जाते हैं। 
(ग) लाख, पौधे से प्राप्त होती है। 
(घ) कुत्ता घर की चौकीदारी करता है। 
(ङ) सभी जन्तु तथा पौधे लाभदायक होते हैं। 

Answer - 3 : -

(क) मादक-पदार्थ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। (✗)
(ख) रेशम के कीड़े शहतूत के पेड़ पर पाले जाते हैं। (✓)
(ग) लाख, पौधे से प्राप्त होती है। (✗)
(घ) कुत्ता घर की चौकीदारी करता है। (✓)
(ङ) सभी जन्तु तथा पौधे लाभदायक होते हैं। (✗)

Question - 4 : -
हल्दी का प्रयोग खाने में करते हैं। इसका उपयोग और कहाँ किया जाता है ?

Answer - 4 : -

हल्दी का प्रयोग खाने के अलावा औषधियों और सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में किया जाता है।

Question - 5 : -
किन्हीं दो हानिकारक पौधों तथा जन्तुओं के नाम लिखिए। वे हमें किस प्रकार हानि पहुँचाते हैं?

Answer - 5 : -

हानिकारक पौधे – भांग, कवक भाग में मादक पदार्थ पाए जाते हैं जिसके सेवन से स्वास्थ्य हो हानि पहुँचती है और हृदय रोग, लीवर सिरोसिस, मानसिक उत्तेजना तथा स्मरण शक्ति में कमी आदि रोग उत्पन्न हो सकते हैं। कवक से मनुष्यों में दाद, खाज वे गंजापन की बीमारी हो सकती है।
हानिकारक जन्तु – साँप, टिड्डी कुछ साँप विषैले होते हैं जिनके काटने से प्राणियों की मृत्यु हो सकती है। टिड्डियाँ करोड़ों की संख्या में दल बनाकर फसलों पर हमला करती हैं और सारी की सारी फसल चट कर जाती हैं। कभी-कभी टिड्डियों का हमला भी अकाल का कारण बन सकता है।

Question - 6 : -
नीम अत्यधिक लाभदायक वृक्ष है। उसके विभिन्न भागों के क्या उपयोग हैं ? लिखिए।

Answer - 6 : -

नीम में एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। नीम के पेड़ के विभिन्न भागों को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। नीम के पेड़ के सभी भाग जैसे पत्ते, फूल, बीज, फल, जड़ और छाल सूजन, संक्रमण, बुखार, त्वचा रोग और दंत चिकित्सा विकारों के इलाज के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए जाते हैं। नीम की पत्ती और हल्दी का लेप सभी प्रकार के चर्म रोग जैसे दाद, एक्जिमा और खुजली का इलाज करने में मदद करता है। इसका प्रयोग प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए, रक्त को शुद्ध करने के लिए और पाचनतंत्र को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। नीम का तेल व बीज कुष्ठ रोग और पेट के कीड़े के उपचार के लिए किया जाता है। नीम के बीज और पत्ते मलेरिया के उपचार में भी सहायक होते हैं। नीम के फल-फूल का प्रयोग पित्त को कम करने, कफ, बवासीर, मूत्र विकार, नाक से खून बहना, नेत्र रोग, घाव, कुष्ठ रोग और पेट के कीड़े के इलाज के लिए किया जाता है। नीम की छाल का प्रयोग पेट और आँतों में अल्सर, त्वचा रोग, दर्द और बुखार में किया जाता है।

Question - 7 : -
रेशम के कीड़े से रेशम कैसे प्राप्त किया जाता है?

Answer - 7 : -

रेशम के कीटों में एक विशेष ग्रन्थि होती है जिसे रेशम-ग्रन्थि कहते हैं। इस ग्रन्थि से अत्यन्त महीन लसदार पदार्थ निकलता है जिसको रेशम कीट का लारवा (इल्ली) अपने शरीर के चारों ओर लपेटकर गेंद जैसी संरचना बना लेता है और अब तक लारवा, प्यूपा (Pupa) में बदल चुका होता है। इस प्यूपा के चारों ओर लिपटी गेंद जैसी संरचना कोया या कोकून कहलाती है। हवा के सम्पर्क में यही लसदार पदार्थ सूखकर रेशम बन जाता है।

Question - 8 : -
किन्ही पाँच लाभदायक पौधों तथा जंतुओं के नाम लिखिए तथा बताइए कि वे हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी हैं।

Answer - 8 : -

पाँच लाभदायक पौधा- आम, कपास, नीम, तुलसी, सागौन इन पौधों से हम क्रमशः फल, ईंधन, रेशे, औषधियाँ और इमारती लकडियाँ प्राप्त होती हैं। | पाँच लाभदायक जन्तु- गाय, भैंस, बकरी, मधुमक्खी, रेशम इन जन्तुओं से हमें क्रमश: दूध, मांस, शहद, दवाइयाँ और वस्तु प्राप्त होते हैं।

Question - 9 : -
जन्तु हमारे लिए लाभदायक हैं। इस कथन की पुष्टि कीजिए।

Answer - 9 : -

जंतु हमारे लिए बहुत लाभदायक हैं। इनसे हमें अनेक उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। भोजन, वस्त्र, कृषि-कार्य, घर की सुरक्षा आदि के लिए जंतुओं को पाला जाता है। जैसे-गाय, भैंस, बकरी से हमें दूध मिलता है। भेड़-बकरी तथा मुर्गे से माँस मिलता है। मुर्गे और बतख से अण्डे भी मिलते हैं। मधुमक्खी के छत्तों से हमें शहद व मोम मिलता है। इसी प्रकार जलीय जीवों में मछलियों से भी हमें खाद्य-पदार्थ मिलता हैं, रेशम से हमें वस्त्र बनाने के लिए रेशा प्राप्त होता है, हमें लाख कीट से मिलने वाले लाख से चूड़ियाँ, बटन खिलौने आदि अनेक वस्तुएँ बनाई जाती हैं। कुत्ता हमारे घर और देश की सुरक्षा करता है। बैल, घोड़ा, गधा, खच्चर, हाथी, ऊँट का उपयोग समान की ढुलाई और सवारी के लिए किया जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि जन्तु हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किसी-न-किसी तरह की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं। वे हमारी अनेक प्रकार से सहायता करते हैं। अत: वे हमारे लिए लाभदायक हैं।

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