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Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग (Human Health and Disease) Solutions

Question - 1 : - कौन-से विभिन्न जन स्वास्थ्य उपाय हैं जिन्हें आप संक्रामक रोगों के विरुद्ध रक्षा-उपायों के रूप में सुझायेंगे?

Answer - 1 : -

संक्रामक रोगों के विरुद्ध हम निम्नलिखित जन-स्वास्थ्य उपायों को सुझायेंगे –
1. अपशिष्ट व उत्सर्जी पदार्थों का समुचित निपटान होना।
2. संक्रमित व्यक्ति व उसके सामान से दूर रहना।
3. नाले-नालियों में कीटनाशकों का छिड़काव करना।
4. आवासीय स्थलों के निकट जल-ठहराव को रोकना, नालियों के गंदे पानी की समुचित निकासी होना।
5. संक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु वृहद स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाये जाना।

Question - 2 : - जीव विज्ञान (जैविकी) के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियन्त्रित करने में किस प्रकार हमारी सहायता की है?

Answer - 2 : -

जीव विज्ञान (जैविकी) के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियन्त्रित करने में हमारी सहायता निम्नलिखित प्रकार से की है

  1.  
    1. जीव विज्ञान रोगजनकों को पहचानने में हमारी सहायता करता है।
    2. रोग फैलाने वाले रोगजनकों के जीवन चक्र का अध्ययन किया जाता है।
    3. रोगजनक के मनुष्य में स्थानान्तरण की क्रिया-विधि की जानकारी होती है।
  1. रोग से किस प्रकार सुरक्षा की जा सकती है, ज्ञात होता है।
  2. बहुत से रोगों के विरुद्ध इन्जेक्शन तैयार करने में सहायता मिलती है।

Question - 3 : -
निम्नलिखित रोगों का संचरण कैसे होता है?
1. अमीबता
2. मलेरिया
3. ऐस्कैरिसता
4. न्यूमोनिया।

Answer - 3 : -

1. अमीबता (Amoebiasis) – अमीबता या अमीबी अतिसार (amoebic dysentery) नामक रोग मानव की वृहद् आंत्र में पाए जाने वाले एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका (Entumoeba histobytica) नामक प्रोटोजोआ परजीवी से होता है। इस रोग के लक्षण कोष्ठबद्धता (कब्ज), उदर पीड़ा और ऐंठन, अत्यधिक श्लेष्म और रुधिर के थक्के वाला मल आदि हैं। इस रोग की वाहक घरेलू मक्खियाँ होती हैं जो परजीवी को संक्रमित व्यक्ति के मल से खाद्य और खाद्य पदार्थों तक ले जाकर उन्हें संदूषित (contaminated) कर देती हैं। संदूषित पेयजल और खाद्य पदार्थ संक्रमण के प्रमुख स्रोत हैं। इससे बचने के लिए स्वच्छता के नियमों का पालन करना चाहिए और खाद्य पदार्थों को ढककर रखना चाहिए।
(ख) मलेरिया (Malaria) – इस रोग के लिए प्लाज्मोडियम (Plasmodium) नामक प्रोटोजोआ उत्तरदायी है। मलेरिया के लिए प्लाज्मोडियम की विभिन्न प्रजातियाँ (जैसे–प्ला० वाइवैक्स, प्ला० मैलेरिआई, प्ला० फैल्सीपेरम) तथा प्ला० ओवेल उत्तरदायी हैं। इनमें से प्ला० फैल्सीपेरम (Plasmodium fulsipurum) द्वारा होने वाला दुर्दम (malignant) मलेरिया सबसे गम्भीर और घातक होता है। इसके संक्रमण के कारण रक्त केशिकाओं में थ्रोम्बोसिस हो जाने के कारण ये अवरुद्ध हो जाती हैं और रोगी की मृत्यु हो जाती है।
मादा ऐनोफेलीज रोगवाहक अर्थात् रोग का संचारण करने वाली है। जब मादा ऐनोफेलीज मच्छर किसी. संक्रमित व्यक्ति को काटती है तो परजीवी उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और जब संक्रमित मादा मच्छर किसी अन्य स्वस्थ मानव को काटती है तो स्पोरोज्वाइट्स (sporozoites) मादा मच्छर की लार से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। मलेरिया में ज्वर की पुनरावृत्ति एक निश्चित अवधि (48 या 72 घण्टे) के पश्चात् होती रहती है। इसमें लाल रक्त कणिकाओं की निरन्तर क्षति होती रहती है।
(ग) ऐस्कैरिसता (Ascariasis) – यह रोग आंत्र परजीवी ऐस्कैरिस (Ascaris) से होता है। इस रोग के लक्षण आन्तरिक रुधिरस्राव, पेशीय पीड़ा, ज्वर, अरक्तता, आंत्र का अवरोध आदि है। इस परजीवी के अण्डे संक्रमित व्यक्ति के मल के साथ बाहर निकल आते हैं और मिट्टी, जल, पौधों आदि को संदूषित कर देते हैं। स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमण संदूषित पानी, शाक-सब्जियों, फलों, वायु आदि से होता है। इससे रक्ताल्पता (anaemia), दस्त (diarrhoea), उण्डुकपुच्छ शोध (appendicitis) आदि रोग हो जाते हैं। कभी-कभी ऐस्कैरिस के लार्वा पथ भ्रष्ट होकर विभिन्न अंगों में पहुँचकर क्षति पहुँचाते हैं।
(घ) न्यूमोनिया (Pneumonia) – मानव में न्यूमोनिया रोग के लिए स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी (Streptococcus pneumoniae) और हिमोफिलस इंफ्लुएन्ज़ी (Haemophilus influenzae) जैसे जीवाणु उत्तरदायी हैं। इस रोग में फुफ्फुस अथवा फेफड़ों (lungs) के वायुकोष्ठ संक्रमित हो जाते हैं। इस रोग के संक्रमण से वायुकोष्ठों में तरल भर जाता है जिसके कारण साँस लेने में परेशानी होती है। इस रोग के लक्षण ज्वर, ठिठुरन, खाँसी और सिरदर्द आदि हैं। न्यूमोनिया विषाणुजनित एवं कवक जनित भी होता है।

Question - 4 : - जलवाहित रोगों की रोकथाम के लिये आप क्या उपाय अपनायेंगे?

Answer - 4 : -

1. सभी जल स्रोतों; जैसे- जल कुण्ड, पानी के टैंक इत्यादि की नियमित सफाई करनी चाहिये तथा इन्हें असंक्रमित रखना चाहिये।
2. वाहित मल एवं कूड़ा-करकट आदि को जलीय स्रोतों में बहाने से रोकना चाहिये।
3. भोजन बनाने के लिये, पीने के लिये व अन्य घरेलू कार्यों हेतु परिष्कृत (संक्रमण, निलम्बित व घुले हुए पदार्थों से स्वतन्त्र) जल का उपयोग करना चाहिये।

Question - 5 : - डी०एन०ए० वैक्सीन के सन्दर्भ में ‘उपयुक्त जीन के अर्थ के बारे में अपने अध्यापक से चर्चा कीजिए।

Answer - 5 : - DNA वैक्सीन में उपयुक्त जीन’ का अर्थ है कि इम्युनोजेनिक प्रोटीन का निर्माण इसे नियन्त्रित करने वाले जीन से हुआ है। ऐसे जीन क्लोन किये जाते हैं तथा फिर वाहक के साथ समेकित करके व्यक्ति में प्रतिरक्षा उत्पन्न करने के लिए उसके शरीर में प्रवेश कराये जाते हैं।

Question - 6 : - प्राथमिक और द्वितीयक लसिकाओं के अंगों के नाम बताइये।

Answer - 6 : -

1. प्राथमिक लसिका अंग- अस्थिमज्जा व थाइमस हैं।
2. द्वितीयक लसिकाएँ- प्लीहा, लसिका नोड्स, टॉन्सिल्स, अपेन्डिक्स व छोटी आँत के पियर्स पैचेज आदि हैं।

Question - 7 : -
इस अध्याय में निम्नलिखित सुप्रसिद्ध संकेताक्षर इस्तेमाल किये गये हैं। इनका पूरा रूप बताइये –
1. एम०ए०एल०टी०
2. सी०एम०आई०
3. एड्स
4. एन०ए०सी०ओ
5. एच०आई०वी०

Answer - 7 : -

1. एम०ए०एल०टी० (MALT) – म्यूकोसल एसोसिएटिड लिम्फॉइड टिशू (Mucosal Associated Lymphoid Tissue)
2. सी०एम०आई० (CMI) – सेल मीडिएटिड इम्यूनिटी (Cell Mediated Immunity)।
3. एड्स (AIDS) – एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएन्सी सिन्ड्रोम (Acquired Immuno | Deficiency Syndrome)।
4. एन०ए०सी०ओ० (NACO) – नेशनल एड्स कन्ट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (National AIDS Control Organisation)
5. एच०आई०वी० (HIV) – ह्यमन इम्यूनो डेफिशिएन्सी वायरस (Human Immuno Deficiency Virus)।

Question - 8 : -
निम्नलिखित में भेद कीजिए और प्रत्येक के उदाहरण दीजिए –
(क) सहज (जन्मजात) और उपार्जिल प्रतिरक्षा
(ख) सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरक्षा। 

Answer - 8 : - (सहज (जन्मजात) और उपार्जित प्रतिरक्षा में अन्तर

(सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरक्षा में अन्तर
 

Question - 9 : - प्रतिरक्षी (प्रतिपिण्ड) अणु का अच्छी तरह नामांकित चित्र बनाइए।

Answer - 9 : - प्रतिरक्षी (प्रतिपिण्ड) अणु

Question - 10 : - वे कौन-कौन से विभिन्न रास्ते हैं जिनके द्वारा मानव में प्रतिरक्षान्यूनता विषाणु (एच०आई०वी०) का संचारण होता है?

Answer - 10 : -

एच०आई०वी० के संचारण के निम्न कारण हैं –
1. संक्रमित रक्त व रक्त उत्पादों के आधान से।
2. संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध।
3. इन्ट्रावीनस औषधि के आदी व्यक्तियों में संक्रमित सुइयों का साझा करके।

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