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Chapter 4 दीवानों की हस्ती Solutions

Question - 1 : - कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है?

Answer - 1 : -

कवि बेफिक्री भरा जीवन जीने वाला व्यक्ति है। वह अपने साथियों के साथ जहाँ भी जाता है, वहाँ उनके दुख-सुख में शामिल होता है और उनमें खुशियाँ बाँटता है। वह अपने लक्ष्य अर्थात् उन लोगों की खुशियों को स्थायी नहीं बना पाता है। वापस आते समय कवि और वे लोग दोनों ही दुखी होते हैं, इसलिए कवि ने ऐसा कहा है।

Question - 2 : - भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है?

Answer - 2 : -

कवि अभावग्रस्त तथा दुखी लोगों के बीच प्यार तथा अपनत्व प्रकट करते हुए उनमें खुशियाँ बाँटता है अर्थात् उन्हें स्वतंत्रता रूपी अनमोल खुशी देना चाहता है, पर अपने प्रयास के बाद भी वह ऐसा नहीं कर पा रहा है। इस असफलता का भार वह अपने हृदय पर लेकर जा रहा है। इससे लगता है कि कवि निराश है।

Question - 3 : - कविता में ऐसी कौन-सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी?

Answer - 3 : -

कविता के अंदर अनेक ऐसी बातें हैं जो मुझे अच्छी लगीं
(क) कविता में बेफिक्र तथा मस्त जीवन जीते हुए दूसरे की खुशियों को ध्यान में रखने का संदेश दिया गया है।
(ख) सुख-दुख को समानभाव से ग्रहण करने की प्रेरणा मिलती है।
(ग) कविता में अभावग्रस्त लोगों में खुशियाँ बाँटकर उनका दुख दूर करने की बात कही गई है, इससे एकता, समानता, प्रेम तथा सद्भाव में वृद्धि होगी।

Question - 4 : - जीवन में मस्ती होनी चाहिए, लेकिन कब मस्ती हानिकारक हो सकती है? सहपाठियों के बीच चर्चा कीजिए।

Answer - 4 : -

मनुष्य को सारी चिंता-फ्रिक छोड़कर मस्ती भरा जीवन जीना चाहिए किंतु हमारे द्वारा की गई मस्ती से किसी का अहित होने लगे या उसकी भावनाएँ आहत होने लगें तो वह मस्ती हानिकारक हो सकती है। हमें दूसरों के जीवन या स्वतंत्रता में दखल देने का कोई हक नहीं हैं। ऐसा न हो कि हम अपनी मस्ती में इतना मस्त हो जाएँ कि दूसरों की भावनाओं का ख्याल ही न रह पाए।

Question - 5 : - एक पंक्ति में कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है कि हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले।” दूसरी पंक्ति में उसने यह कहकर अपने अस्तित्व को महत्त्व दिया है कि “मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले।” यह फाकामस्ती का उदाहरण है। अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाती है। कविता में इस प्रकार की अन्य पंक्तियाँ भी हैं। उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और अनुमान लगाइए कि कविता में परस्पर विरोधी बातें क्यों की गई हैं?

Answer - 5 : -

कविता में परस्पर विरोध प्रकट करने वाली पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं
(1) आए बनकर उल्लास अभी,
आँसू बनकर बह चले अभी। (उल्लास और आँसू साथ साथ)
(2) जग से उसका कुछ लिए चले,
जग को अपना कुछ दिए चले, (कुछ लेना और देना एक साथ)
(3) दो बात कही, दो बात सुनी;
कुछ हँसे और फिर कुछ रोए। (हँसना व रोना एक साथ)

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