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Chapter 9 हाइड्रोजन (Hydrogen) Solutions

Question - 1 : - हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में इसकी स्थिति को युक्तिसंगत ठहराइए। हल उत्तर

Answer - 1 : -

हाइड्रोजन एक विशिष्ट तत्व है, जो आवर्त सारणी के वर्ग 1 की क्षार धातुओं तथा वर्ग 17 के हैलोजेन गैसों के गुण प्रदर्शित करता है। इस दोहरे गुण के कारण हाइड्रोजन की आवर्त सारणी में स्थिति विवादास्पद बनी हुई है।

हाइड्रोजन के दोहरे व्यवहार का कारण इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है। हाइड्रोजन s-ब्लॉक की प्रथम तत्व है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s’ है अर्थात् हाइड्रोजन परमाणु के बाहरी कोश, जो पहला कोश भी है, में केवल एक इलेक्ट्रॉन है। हाइड्रोजन एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर H+ आयन या धनायन अर्थात् प्रोटॉन दे सकता है और एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके H आयन या ऋणायन बना सकता है।

हाइड्रोजन के सन्दर्भ में उपर्युक्त तथ्य से आवर्त सारणी में इसकी स्थिति निम्नलिखित बिन्दुओं से समझी जा सकती है-
हाइड्रोजन की क्षार धातुओं (वर्ग 1 के तत्वों से समानता
(Similarities of Hydrogen with Alkali Metals)
(i)
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronicconfiguration)–इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान है और इनके अन्तिम कोश में एक इलेक्ट्रॉन s-1 है।
1H = 1s1 11Na = 1s2,2s2 2p6,3s1
(ii)
विद्युत-धनात्मक गुण (Electropositivecharacter)–एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन देते हैं।

इस व्यवहार को इस तथ्य से प्रबल समर्थन मिलता है कि जब अम्लीकृत जल को विद्युत-अपघटन किया जाता है तो कैथोड पर हाइड्रोजन मुक्त होती है। इसी प्रकार गलित सोडियम क्लोराइड के विद्युत अपघटन पर कैथोड पर सोडियम, (क्षार धातु) मुक्त होती है।
(iii)
ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state) हाइड्रोजन तथा क्षार धातु अपने यौगिकों में +1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं। उदाहरणार्थ-HCl, NaCl आदि।

(iv) रासायनिक बन्धुता (Chemical affinity)-हाइड्रोजन तथा क्षार धातुएँ विद्युत धनात्मक प्रकृति के होते हैं। अतः इनमें विद्युत-ऋणी तत्वों के प्रति बन्धुता पाई जाती है अर्थात् ये तीव्रता से इनके साथ संयोग करते हैं। उदाहरणार्थ-
सोडियम के यौगिक – Na2P, NaCl, Na2S
हाइड्रोजन के यौगिक – H2O2 HCl, H2S
(v)
अपचायक प्रकृति (Reducing nature)-हाइड्रोजन तथा अन्य क्षार धातु वर्ग के सदस्य प्रबल अपचायक होते हैं; क्योंकि वे उनके यौगिकों से ऑक्सीजन को हटाते हैं। उदाहरणार्थ-

क्षार धातुओं से असमानता (Dis-similarities with Alkali Metals)
हाइड्रोजन क्षार धातुओं से भिन्नता भी दर्शाता है। इनका वर्णन निम्नवत है-

  1. क्षार धातुएँ प्रारूपिक धातुएँ (typical metals) होती हैं, जबकि हाइड्रोजन एक अधातु है।
  2. हाइड्रोजन द्विपरमाणुक (diatomic) होती है, जबकि क्षार धातुएँ एकपरमाणुक होती हैं।
  3. क्षार धातुओं की आयनन ऊर्जा (सोडियम की आयनन ऊर्जा = 496 kJ mol-1) हाइड्रोजन (1312 kJ mol-1) की तुलना में बहुत कम होती है।
  4. हाइड्रोजन के यौगिक सामान्यतः सहसंयोजक होते हैं (जैसे-HCI, H2O आदि), जबकि क्षार धातुओं के यौगिक सामान्यत: आयनिक होते हैं (जैसे-NaCI, KF आदि)

हाइड्रोजन तथा हैलोजेन की समानता (Similarities of Hydrogen and Halogens)
(i)
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronicconfiguration)-इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस कारण से समान होते हैं कि इनके बाहरी कोश में अक्रिय गैस से एक इलेक्ट्रॉन कम होता है और ये एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अक्रिय गैस की स्थायी संरचना प्राप्त कर लेते हैं।

(ii) विद्युत-ऋणात्मक गुण (Electronegative character)–ये एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन देते हैं।
H+ e → H, X+e → X, (X=
हैलोजेन)
(iii)
द्विपरमाणुक प्रकृति (Diatomic nature)-हाइड्रोजन तथा हैलोजेन दोनों द्वि-परमाणुक | अणु बनाते हैं जिसमें सहसंयोजक बन्ध होते हैं।
H — H
या H2, Cl — Cl या Cl,
(iv)
ऐनोड पर विमुक्ति (Liberation atanode)-हैलाइडों के जलीय विलयन विद्युत्-अपघटन पर ऐनोड पर ऋणायन देते हैं। इसी प्रकार NaH विद्युत्-अपघटन पर ऐनोड पर H आयन देता है।

(v) आयनन एन्थैल्पी (Ionisation enthalpy)-आयनन ऊर्जा लगभग समान होती है, किन्तु क्षार धातुओं से अधिक होती है।

(vi) ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state)-हैलोजेन यौगिकों में -1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं तथा हाइड्रोजन भी अपने यौगिकों में ( धातुओं के साथ) -1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है।
उदाहरणार्थ-Na+H तथा Na+F 
(vii)
अधात्विक प्रकृति (Non-metallicnature)–हाइड्रोजन तथा हैलोजेनों का सबसे महत्त्वपूर्ण सामान्य गुण अधात्विक प्रकृति है। दोनों प्रारूपिक अधातु हैं। (viii) यौगिकों की प्रकृति (Nature of compounds)-हाइड्रोजन तथा हैलोजेन के अनेक यौगिक सहसंयोजी प्रकृति के होते हैं। उदाहरणार्थ-
हाइड्रोजन के सहसंयोजक यौगिक – CH4, SiH4, GeH4
क्लोरीन के सहसंयोजक यौगिक – CCl4, SiCl4, GeCl4
यहाँ यह तथ्य महत्त्वपूर्ण है कि हाइड्रोजन तथा हैलोजेन परमाणु परस्पर सरलता से प्रतिस्थापित किए जा सकते हैं।

हैलोजेनों से असमानता (Dis-similarities with Halogens)
निम्नलिखित गुणधर्मों में हाइड्रोजन हैलोजेनों से भिन्नता रखता है-

    1. हैलोजेन तीव्रता से हैलाइड आयन (X) बना लेते हैं, परन्तु हाइड्रोजन केवल क्षार तथा क्षारीय | मृदा धातुओं के साथ यौगिकों में हाइड्राइड आयन (H) बनाता है।
    2. आण्विक रूप में, H परमाणुओं पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नहीं होता, जबकि X परमाणुओं . पर ऐसे तीन युग्म होते हैं। उदाहरणार्थ-


    3. हैलोजेन के ऑक्साइड सामान्यतया अम्लीय होते हैं, जबकि हाइड्रोजन के ऑक्साइड उदासीन होते हैं।
    निष्कर्षन-हाइड्रोजन दोनों समूहों के साथ समान लक्षण रखता है। अत: इसे आवर्त सारणी में एक निश्चित स्थान देना कठिनाई का विषय है। चूंकि तत्वों के आवर्ती वर्गीकरण का आधार इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है; अतः हाइड्रोजन को क्षार धातुओं के साथ वर्ग 1 में सबसे ऊपर रखा गया है, परन्तु हाइड्रोजन की यह स्थिति पूर्ण रूप से न्यायोचित नहीं है।

      Question - 2 : - हाइड्रोजन के समस्थानिकों के नाम लिखिए तथा बताइए कि इन समस्थानिकों का द्रव्यमान अनुपात क्या है?

      Answer - 2 : -

      हाइड्रोजन तीन समस्थानिकों के रूपों में पाया जाता है। इनके नाम प्रोटियम (11H), ड्यूटीरियम (12H)तथा ट्राइटियम (13H)हैं। इन समस्थानिकों का द्रव्यमान अनुपात निम्नवत् है-
      11H :12H :13H:: 1.008 : 2.014 : 3.016

      Question - 3 : - सामान्य परिस्थितियों में हाइड्रोजन एकपरमाण्विक की अपेक्षा द्विपरमाण्विक रूप में क्यों पाया जाता है?

      Answer - 3 : -

      हाइड्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s1 है। इसमें He (Helium) की भाँति स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने के लिये एक इलेक्ट्रॉन की कमी होती है। इसलिए, यह He की भाँति स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने के लिये दूसरे हाइड्रोजन परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन का साझा करती है। तथा द्विपरमाणविक H2 (H—H) अणु बनाती है।

      Question - 4 : - ‘कोलगैसीकरण से प्राप्त डाइहाइड्रोजन का उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है?

      Answer - 4 : -

      कोलगैसीकरण, वह प्रक्रिया है जिसमें रक्त तप्त कोयले की अभिक्रिया 1270 K पर जल भाप से (Bosch Process) की जाती है।


      Syngas (water gas) Syngas
      मिश्रण में उपस्थित कार्बन मोनोऑक्साइड से जल वाष्प की अभिक्रिया कर H2 का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इसमें FeCrO4 उत्प्रेरक की भाँति कार्य करता है।


      यह water gas shift reaction कहलाती है। मिश्रण से कार्बन डाइऑक्साइड को सोडियम आर्सेनाइट विलयन में प्रवाहित कर अलग किया जा सकता है।

      Question - 5 : - विद्युत-अपघटन विधि द्वारा डाइहाइड्रोजन वृहद् स्तर पर किस प्रकार बनाई जा सकती है? इस प्रक्रम में विद्युत-अपघट्य की क्या भूमिका है?

      Answer - 5 : - विद्युत-अपघटन विधि द्वारा डाइहाइड्रोजन का निर्माण (Formation of Dihydrogenby electrolytic process)—सर्वप्रथम शुद्ध जल में अम्ल तथा क्षारक की कुछ बूंदें मिलाकर इसे विद्युत का सुचालक बना लेते हैं। अब इसका विद्युत-अपघटन (वोल्टामीटर में) करते हैं। जल के विद्युत-अपघटन से ऋणोद (कैथोड) पर डाइहाइड्रोजन और धनोद (ऐनोड) पर ऑक्सीजन (सहउत्पाद के रूप में) एकत्रित होती है। ऐनोड तथा कैथोड को एक ऐस्बेस्ट्स डायफ्राम की सहायता से पृथक्कृत कर दिया जाता है जो मुक्त होने वाली हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन को मिश्रित नहीं होने देता।

      इस प्रकार प्राप्त डाइहाइड्रोजन पर्याप्त रूप से शुद्ध होती है।
      विद्युत-अपघट्य की भूमिका (Role of electrolyte)– शुद्ध जल विद्युत-अपघट्य नहीं होता और ही विद्युत का चालक होता है। शुद्ध जल में अम्ल या क्षार की कुछ मात्रा मिलाकर इसे , विद्युत अपघट्य बनाया जाता है।

      Question - 6 : - निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए-

      Answer - 6 : -


      Question - 7 : - डाइहाइड्रोजन की अभिक्रियाशीलता के पदों में H — H बन्ध की उच्च एन्थैल्पी के परिणामों की विवेचना कीजिए।

      Answer - 7 : -

      H—H बन्ध की उच्च एंथैल्पी (435.88 kJ mol-1) के कारण, डाइहाड्रोजन सामान्य तापमान पर अधिक क्रियाशील नहीं है। लेकिन उच्च ताप अथवा उत्प्रेरक की उपस्थिति में यह अधिक क्रियाशील हो जाती है तथा अनेक तत्त्वों के साथ बड़ी संख्या में यौगिकों का निर्माण करती है।

      Question - 8 : -
      हाइड्रोजन के
      (i) इलेक्ट्रॉन न्यून,
      (ii) इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध तथा
      (iii) इलेक्ट्रॉन समृद्ध
      यौगिकों से आप क्या समझते हैं। उदाहरणों द्वारा समझाइए।

      Answer - 8 : -

      हाइड्रोजन के जिन यौगिकों में पारम्परिक लूइस संरचना के लिये आवश्यक इलेक्ट्रॉनों से कम इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं, उन्हें इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक कहा जाता है, जैसे-B2H6 जिन यौगिकों में पारम्परिक लूइस संरचना के अनुरूप पर्याप्त इलेक्ट्रॉन होते हैं, उन्हें इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध यौगिक कहा जाता है, जैसे-CH4,C2H4Si2H6 आदि। जिन यौगिकों में एकल युग्मों के रूप में इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं, उन्हें इलेक्ट्रॉन समृद्ध यौगिक कहा जाता है, जैसे-आदि।

      Question - 9 : - संरचना एवं रासायनिक अभिक्रियाओं के आधार पर बताइए कि इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड के कौन-कौन से अभिलक्षण होते हैं?

      Answer - 9 : -

      (i) इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्रोइड (electron-deficient hydrides) के पास इतने इलेक्ट्रॉन नहीं होते कि वह सामान्य सहसंयोजक (covalent bond) बना सकें। इसलिए, इलेक्ट्रॉन की कमी को पूरी करने के लिये ये बहुलक अवस्था में पाये जाते हैं, जैसे -B2H6 B4H10,(AlH3 )n इत्यादि।
      (ii)
      इलेक्ट्रॉनों की कमी के कारण, इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड लूइस अम्लों की तरह व्यवहार करते हैं और लूइस बेस के साथ जटिलों (complexes) को निर्माण करते हैं। जैसे-

      (iii) इलेक्ट्रॉनों की कमी के कारण, इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड बहुत अधिक अभिक्रियाशील होते हैं। और अनेक धातुओं, अधातुओं और यौगिकों के साथ अभिक्रिया करते हैं। जैसे,

      Question - 10 : - क्या आप आशा करते हैं कि (CnH2n+2)कार्बनिक हाइड्राइड लूइस अम्ल या क्षार की भॉतिं कार्य करेंगे? अपने उत्तर को युक्तिसंगत ठहराइए।

      Answer - 10 : -

      नहीं, कार्बन के CnH2n+2 प्रकार के हाइड्राइड लूइस अम्ल या लूइस बेस की भाँति कार्य नहीं करते। ऐसा इसलिये होता है, क्योंकि इनमें आवश्यक सहसंयोजक बन्ध बनाने के लिए सही संख्या में इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं। अतः इनमें तो इलेक्ट्रॉन की कमी होती है और ही एकल युग्म के रूप में इलेक्ट्रॉन की अधिकता। इसलिए ये लूइस अम्ल लूइस बेस की तरह व्यवहार नहीं करते।

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