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Chapter 3 दिल्ली के सुलतान Solutions

Question - 1 : - क्या आपको लगता है कि न्याय-चक्र राजा और प्रजा के बीच के संबंध को समझाने के लिए उपयुक्त शब्द है? 

Answer - 1 : - तेरहवीं सदी के इतिहासकार फख़-ए मुदब्बिर ने न्याय चक्र के बारे में लिखा है राजा का काम सैनिकों के बिना नहीं चल सकता। सैनिक वेतन के बिना नहीं जी सकते। वेतन आता है किसानों से एकत्रित किए गए राजस्व से। मगर किसान भी राजस्व तभी चुका सकेंगे, जब वे खुशहाल और प्रसन्न हों। ऐसा तभी हो सकता है जब राजा न्याय और ईमानदार प्रशासन को बढ़ावा दे। न्याय चक्र का उपरोक्त वर्णन राजा और प्रजा के बीच के संबंध को समझाने के लिए आंशिक रूप से उपयुक्त शब्द है।

Question - 2 : - मिन्हाज के विचार अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए। क्या आपको लगता है कि रजिया के विचार भी यही थे ? आपके अनुसार स्त्री के लिए शासक बनना इतना कठिन क्यों था?

Answer - 2 : - मिन्हाज-ए-सिराज का मानना था कि ईश्वर ने जो आदर्श समाज व्यवस्था बनाई है उसमें स्त्रियों को पुरुषों के अधीन होना चाहिए। ऐसी स्थिति में रानी का शासन इस व्यवस्था के विरुद्ध था। रजिया सुल्तान 1236 से 1240 ई. तक दिल्ली सल्तनत की शासिका थी। रजिया सुल्तान को महिला शासक होने के कारण काफी विरोध का सामना करना पड़ा था, जबकि रजिया सुल्ताना ने मर्दो की तरह शासन चलाया। रजिया सुल्तान के विचार मिन्हाज सिराज के विपरीत था। पहले पितृ-प्रधान समाज के कारण पिता का पुत्र ही राजा होता था, इसलिए स्त्री के लिए शासक बनना कठिन काम था।

Question - 3 : - क्या आपको गुलाम को बेटे से बढ़कर मानने का कोई कारण समझ में आता है? 

Answer - 3 : - सल्तनत काल के प्रारम्भिक शासक गुलाम वंश के थे। मुहम्मद गोरी का गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का शासक बना था और कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम इल्तुतमिश दिल्ली का शासक बना था। ये दोनों शासक काफी योग्य और बुद्धिमान थे। इसलिए बुद्धिमानों का कहना है कि योग्य और अनुभवी गुलाम बेटे से भी बढ़कर होता है….यह कथन बिल्कुल सही है, क्योंकि ये गुलाम अपनी योग्यता और बुद्धि से ही राजा या सुल्तान के दिल जीत पाते थे, इसलिए सुल्तान उन्हें बेटे से बढ़कर मानते थे।

Question - 4 : - आपके ख्याल से बरनी ने सुल्तान की आलोचना क्यों की थी? 

Answer - 4 : - सुल्तान मुहम्मद तुगलक ने अजीज खुम्मार नामक कलाल (शराब बनाने और बेचने वाला), फिरुज हज्जाम नामक नाई, मनका तब्बाख नामक बावर्जी और लड्ढा तथा पीरा नामक मालियों को ऊँचे प्रशासनिक पदों पर बैठाया था। ये लोग सुल्तान को चापलूसी करके बड़े पद पाए थे इनके अंदर बड़े पद पाने की योग्यता | नहीं थी, इसलिए इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने इन नियुक्तियों का उल्लेख सुल्तान के राजनीतिक विवेक के नाश और शासन करने की अक्षमता के उदाहरणों के रूप में किया है।

Question - 5 : - सरदारों की रक्षा-व्यवस्था का वर्णन कीजिए। 

Answer - 5 : - मोरक्को से चौदहवीं सदी में भारत आए यात्री इब्नबतूता ने भारत के सरदारों की रक्षा व्यवस्था का वर्णन किया था, उसके अनुसार सरदार चट्टानी, उबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाकों में किले बनाकर रहते थे और कभी-कभी बाँस के झुरमुटों में। ये दोनों स्थान काफी दुर्गम होते थे। सरदार इन जंगलों में रहते थे जो इनके लिए किले की प्राचीर का काम देते थे। इस दीवार के घेरे में ही उनके मवेशी और फसल रहते थे। अंदर ही पानी भी उपलब्ध रहता था अर्थात् वहाँ एकत्रित हुआ वर्षा का जल, इसलिए उन्हें प्रबल बलशाली सेनाओं के बिना हराया नहीं जा सकता था।

Question - 6 : - दिल्ली में पहले-पहल किसने राजधानी स्थापित की?

Answer - 6 : - तोमर राजपूत चौहान राजाओं ने पहले-पहल दिल्ली में राजधानी स्थापित की थी।

Question - 7 : - दिल्ली के सुलतानों के शासनकालों में प्रशासन की भाषा क्या थी?

Answer - 7 : - फारसी भाषा।।

Question - 8 : - किसके शासन के दौरान सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार हुआ?

Answer - 8 : - मुहम्मद तुगलक।

Question - 9 : - इब्नबतूता किस देश से भारत में आया था?

Answer - 9 : - मोरक्को (अफ्रीका)।

Question - 10 : - ‘न्याय चक्र’ के अनुसार सेनापतियों के लिए किसानों के हितों का ध्यान रखना क्यों ज़रूरी था?

Answer - 10 : - ‘न्याय चक्र’ के अनुसार सेनापतियों के लिए किसानों के हितों का ध्यान रखना इसलिए जरूरी था, क्योंकि किसानों से एकत्रित किए गए राजस्व से ही सैनिकों को वेतन मिलता था। मगर किसान भी राजस्व तभी चुका सकते थे, जब वे खुशहाल और प्रसन्न हों। ऐसा तभी हो सकता है जब राजा न्याय और ईमानदार प्रशासन को बढ़ावा दें।

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