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Chapter 6 दिये जल उठे Solutions

Question - 1 : -
किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया? [CBSE 2012]

Answer - 1 : -

स्थानीय कलेक्टर द्वारा सरदार पटेल की गिरफ्तारी की प्रेरणा का कारण था—पिछले आंदोलन के समय सरदार पटेल द्वारा इसी कलेक्टर को अहमदाबाद से भगा दिया जाना। यही कारण था कि पटेल के द्वारा दो शब्द बोले जाते ही निषेधाज्ञा लागू कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया।

Question - 2 : -
जज को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट करें।

Answer - 2 : -

जज को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने के लिए डेढ़ घंटा इसलिए लगा क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि किस धारा के तहत उन पर आरोप लगाया जाए और उन्हें जेल भेजा जाए। उस समय पटेल को 500 रुपये के जुर्माने के साथ 3 महीने की जेल की सजा हुई। पुलिस पहरे में ही बोरसद की अदालत में लाया गया। जज के सामने ही उन्होंने अपना अपराध कबूल किया था। वह उन्हें कितनी और किस प्रकार कीसज़ा दें यह तथ्य उसकी समझ में नहीं आ रहा था।

Question - 3 : -
“मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।”-यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धत पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

Answer - 3 : -

सरदार पटेल को रास में अकारण गिरफ्तार कर बिना मुकदमा चलाए उन्हें 500 रुपए का जुर्माना और तीन महीने के कारावास की सजा सुना दी गई थी। जेल के रास्ते में आश्रमवासियों और गांधी से यह कहना, “मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।” इस बात का संकेत था कि अंग्रेज़ सरकार मेरी गिरफ्तारी के बाद आपको भी अकारण गिरफ्तार कर सकती है।

Question - 4 : -
”इनसे आप लोग त्याग ओर हिम्मत सीखें”-गाँधी जी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?

Answer - 4 : -

रास में गांधी जी का भव्य स्वागत किया गया। दरबार समुदाय के लोग इसमें सबसे आगे थे। दरबार गोपालदास और रविशंकर महाराज वहाँ मौजूद थे। उन्होंने अपने भाषण में दरबारों का खासतौर पर उल्लेख किया है। ये रियासतदार होते हैं। इन्हें साहबी भी कहा गया है। ऐशो-आराम की जिंदगी भी एक तरह का राजपाट था। दरबार सभी कुछ छोड़कर यहाँ बस गए थे। कभी गांधी जी ने कहा था कि इनसे त्याग और साहस की परिभाषाएँ सीखनी चाहिए। धैर्य, त्याग और साहस के द्वारा ही अंग्रेजी शासन को बाहर खदेड़ा जा सकता है।

Question - 5 : -
पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि-‘कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए।

Answer - 5 : -

गांधी जी अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नमक के कानून को तोड़ना चाहते थे। अंग्रेजों के राज्य में यह काम इतना आसान न था। गांधी जी और सत्याग्रहियों ने अपनी सूझबूझ का परिचय दिया और रास से चलकर मही नदी के किनारे पहुँचे। वहाँ से नाव के सहारे मही नदी पार की। इस यात्रा में उन्हें कई मील पैदल कीचड़ और पानी में चलना पड़ा और अंत में सफल रहे। इससे सिद्ध होता है कि तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेल-जोल से कठिन परिस्थितियों का सामना किया। जा सकता है।

Question - 6 : -
महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

Answer - 6 : -

रात 12 बजे महिसागर नदी का किनारा लोगों की भीड़ से भर गया। घना अँधेरा छाया हुआ था। सत्याग्रहियों के आने का इंतजार हो रहा था। गांधी जी बाहर निकले और घुटनों तक पानी में चलकर नाव तक पहुँचे। महात्मा गांधी जी की जय, सरदार पटेल की जय, नेहरू की जय के नारों से महिसागर नदी का किनारा पूँज रहा था। नाव रवाना हुई। उसे निषादराज चला रहे थे। कुछ ही दूर में नारों की आवाज़ नदी के दूसरे तट से भी आने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे नदी का किनारा न हो पहाड़ की घाटी हो जहाँ प्रतिध्वनि सुनाई दे रही थी। महिसागर के दूसरे तट पर भी स्थिति बिलकुल वैसी ही थी। गांधी जी के पार करने के बाद तट पर दिये लेकर खड़े लोग खड़े ही रह गए। अभी सत्याग्रहियों को भी उस पार जाना था। शायद उन्हें पता था कि रात में कुछ और लोग आएँगे। जिन्हें नदी पार करनी होगी।

Question - 7 : -
”यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करूंगा।”-गांधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?

Answer - 7 : -

गांधी धर्म यात्रा को चलकर पूरी करना चाहते थे। उनका मानना था कि यात्रा में कष्ट सहकर सुख, दुख समझें तभी यात्रा सफल होती है। इससे उनके अत्यंत परिश्रमी, आत्मनिर्भर होने, अपना काम स्वयं करने तथा धार्मिक होने जैसी चारित्रिक गुणों का पता चलता है।

Question - 8 : -
गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?

Answer - 8 : -

गांधी जी सत्य व अहिंसा के पुजारी थे। झूठ बोलकर और चोरी से काम करना उनकी शैली में नहीं था। उनकी व्यक्तित्व की विशेषताओं से वरिष्ठ अधिकारी भी परिचित थे। ब्रिटिश शासकों में एक ऐसा वर्ग भी था जिसे लग रहा था गांधी जी और उनके सत्याग्रही मही नदी के किनारे अचानक पहुँचकर नमक बनाकर कानून तोड़ देंगे। समुद्री पानी नदी तट पर काफ़ी नमक छोड़ जाता है जिसकी रखवाली के लिए चौकीदार रखे जाते हैं। वे मानते ही नहीं हैं कि कोई काम गांधी जी अचानक या चुपके से करेंगे। इसके बावजूद भी नदी के तट से सारे नमक के भंडार हटा दिए गए और उन्हें नष्ट करा दिया गया ताकि इसका खतरा ही न रहे। गाँधी जी द्वारा बनाई गई योजना ने वरिष्ठ अधिकारियों को हैरानी में डाल दिया।

Question - 9 : -
गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?

Answer - 9 : -

गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर इसलिए खड़े थे, ताकि बाद में जो सत्याग्रही आएँगे, उन्हें भी नदी के पार पहुँचाया जा सके।

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