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Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ (Redox Reactions) Solutions

Question - 1 : - निम्नलिखित स्पीशीज में प्रत्येक रेखांकित तत्व की ऑक्सीकरण संख्या का निर्धारण कीजिए-
(
) NaH2PO4
(
) Na HSO4
(
) H4P2O7
(
) K2MnO4
(
) CaO2
(
) NaBH4
(
) H2S2O7
(
) KAl(SO4).12H2O

Answer - 1 : -


Question - 2 : - निम्नलिखित यौगिकों के रेखांकित तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या क्या है तथा इन परिणामों को आप कैसे प्राप्त करते हैं?
(
) KI3
(
) H2S4O6
(
) Fe3O4
(
) CH2CH2OH
(
) CH3COOH

Answer - 2 : -


Question - 3 : - निम्नलिखित अभिक्रियाओं का अपचयोपचय अभिक्रियाओं के रूप में औचित्य स्थापित करने का प्रयास कीजिए
(
CuO(s)+ H2(g) +Cu(s) + H2O(g)
(
) Fe2O3(s)+ 3CO(g)—-→ 2Fe(s) + 3CO2(g)
(
) 4BCl3(g) +3LiAlH4(s) → 2B2H6(g) + 3LiCl(s) + 3AlCl3(s)
(
) 2K(s) + F2(g)→ 2K+F (s)
(
) 4NH3(g) +5O2(g) → 4NO(g) + 6H2O(g)

Answer - 3 : -

इस अभिक्रिया में, Cu की ऑक्सीकरण अवस्था +2(CuO में) से घटकर शून्य (Cu में) हो जाती है जबकि H की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य (H2 में) से बढ़कर +1(H2O में) हो जाती है। इसलिए अभिक्रिया में CuO का अपचयन तथा H का ऑक्सीकरण हो रहा है। अतः यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है।

इस अभिक्रिया में, Fe2O3 का अपचयन हो रहा है क्योंकि Fe की ऑक्सीकरण अवस्था +3(Fe2O3 में) से घटकर शून्य (Fe में) हो जाती है। CO का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योंकि C की ऑक्सीकरण अवस्था +2 (CO में) से बढ़कर +4 (CO,2में) हो जाती है। अत: यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया (redox reaction) है।

इस अभिक्रिया में, BCl3 का अपचयन हो रहा है क्योकि B की ऑक्सीकरण अवस्था +3 (BCl3 में) से घटकर -3 (B2H6 में) हो जाती है तथा LiAlH4 का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योकि H की ऑक्सीकरण अवस्था -1(LiAlH4 में) से बढ़कर +1 (B2H6 में) हो जाती है। अतः यह एक अपचयोपचय (redox) अभिक्रिया है।

इस अभिक्रिया में, K का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था शून्य से बढ़कर +1 हो जाती है तथा F को अपचयन हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था शून्य से घटकर -1 हो जाती है। अत: यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है।

इस अभिक्रिया में, NH3 को ऑक्सीकरण हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था -3 से बढ़कर +2 हो जाती है तथा O2 का अपचयन हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था शून्य से घटकर -2 (H2O में) हो जाती है। अतः यह एक अपचयोपचय (redox) अभिक्रिया है।

Question - 4 : - फ्लुओरीन बर्फ से अभिक्रिया करके यह परिवर्तन लाती है
H2O(s) + F2(g) → HF(g) + HOF(g)
इस अभिक्रिया का अपचयोपचय औचित्य स्थापित कीजिए।

Answer - 4 : -

H2O(s) + F(g) → HF(g) + HOF (g)
इस अभिक्रिया में, F2 का अपचयन के साथ-साथ ऑक्सीकरण भी हो रहा है क्योंकि यह H (वैद्युत धनात्मक तत्त्व) को जोड़कर HF बनाती है तथा 0 (एक वैद्युत ऋणात्मक तत्त्व) को जोड़कर HOF बनाती है। अत: यह एक ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रिया (redox reaction) है।

Question - 5 : - H2SO5, Cr2O2-7 तथा NO3 में सल्फर, क्रोमियम तथा नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या की गणना कीजिए। साथ ही इन यौगिकों की संरचना बताइए तथा इसमें हेत्वाभास | (fallacy) का स्पष्टीकरण दीजिए।

Answer - 5 : - (i) H2SO5 मेंS की ऑक्सीकरण संख्या:
(+1)x2 + (x) + [(-2)x5]= 0
अथवा x= 10-2= +8
S
की ऑक्सीकरण संख्या +8 सम्भव नहीं है क्योंकि s के बाह्य कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं और उसकी अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या +6 हो सकती है। अत: H, SO में दो ऑक्सीकरण परमाणुओं को एक-दूसरे से जुड़ा होना चाहिए। इस हेत्वाभास (fallacy) को H2SO4 की निम्नलिखित संरचना द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

(ii) Cr2O2-7 मेंCr की ऑक्सीकरण संख्या:
(iii) NO3 मेंN की ऑक्सीकरण संख्या:

Question - 6 : -
निम्नलिखित यौगिकों के सूत्र लिखिए-
(क) मर्करी (II) क्लोराइड
(ख) निकिल (II) सल्फेट
(ग) टिन (IV) ऑक्साइड
(घ) थैलियम (I) सल्फेट
(ङ) आयरन (II) सल्फेट
(च) क्रोमियम (III) ऑक्साइड

Answer - 6 : -

() HgCl2
(
) NiSO4
(
) SnO2
(
) Th2SO4
(
) Fe2(SO4 )3
(
) Cr2O7

Question - 7 : - उन पदार्थों की सूची तैयार कीजिए जिनमें कार्बन-4 से +4 तक की तथा नाइट्रोजन-3 से +5 तक की ऑक्सीकरण अवस्था होती है।

Answer - 7 : -


Question - 8 : - अपनी अभिक्रियाओं में सल्फर डाइऑक्साइड तथा हाइड्रोजन परॉक्साइड ऑक्सीकारक तथा अपचायक-दोनों ही रूपों में क्रिया करते हैं, जबकि ओजोन तथा नाइट्रिक अम्ल केवल ऑक्सीकारक के रूप में ही। क्यों?

Answer - 8 : -

SO2 में S की ऑक्सीकरण संख्या +4 होती है। S अपनी अभिक्रियाओं में -2 और +6 के बीच की कोई भी ऑक्सीकरण-संख्या दर्शा सकता है। अत: SO2 में S की ऑक्सीकरण संख्या घट सकती है और बढ़ भी सकती है; अर्थात् इसका ऑक्सीकरण तथा अपचयन दोनों सम्भव है। इस कारण SO2 ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों अभिकर्मकों की तरह व्यवहार करती है। H2O2 की स्थिति भी समान प्रकार की है। H2O2 में, O की ऑक्सीकरण अवस्था -1 होती है। ऑक्सीजन -2 और 0 (शून्य) के बीच की कोई भी ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है (+2 भी जब F से जुड़ा होता है) अतः H2O2 में ऑक्सीजन अपनी ऑक्सीकरण संख्या घटा तथा बढ़ा सकता है। इस कारण H2O2 ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों अभिकर्मकों की तरह व्यवहार करता है।
O3 
में, ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य है। यह अपनी ऑक्सीकरण-अवस्था को -1 तथा -2 तक घटा सकता है परन्तु अपनी ऑक्सीकरण-अवस्था को बढ़ा नहीं सकता। अत: O3 केवल एक ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करती है। H2O2 की स्थिति भी समान प्रकार की है। HNO3 में, N की ऑक्सीकरण-अवस्था +5 होती है जो N की अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्था है। अत: N केवल अपनी ऑक्सीकरण अवस्था घटा सकता है। इस कारण HNO3 केवल ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करता है।

Question - 9 : - इन अभिक्रियाओं को देखिए
(
) 6CO2(g) +6H2O(l) → C6H12O6 (aq) + 6O2(g)
(
) O3(g) + H2O2(l)→ H2O(l) + 2O2(g)
बताइए कि इन्हें निम्नलिखित ढंग से लिखना ज्यादा उचित क्यों है?
(
) 6CO2(g) +12H2O(I) → C2H12O6 (aq) + 6H2O(I)+ 6O2(g)
(
) O2(g) + H2O2(l)→ H2O(I) + O2(g) + O2(g)
उपर्युक्त अपचयोपचय अभिक्रियाओं () तथा () के अन्वेषण की विधि सुझाइए।

Answer - 9 : - () यह प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) की अभिक्रिया है जो कि एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और अनेक चरणों में सम्पन्न होती है। इस अभिक्रिया में, 12H2O अणु क्लोरोफिल (chlorophyll) की उपस्थिति में पहले अपघटित होकर H2 तथा O2 देते हैं। इस प्रकार निर्मित H2CO2 को अपचयित कर C2H12O6 का निर्माण करती है। अतः अभिक्रिया को एक सरल रूप में अभिक्रिया निम्न प्रकार दिखाया जा सकता है|

इसलिए इस अभिक्रिया को समीकरण (iii) की भाँति लिखना ज्यादा उचित है। इस निरूपण में 12H2O अणु भाग लेते हैं तथा 6H2O अणु उत्पन्न होते हैं।
(
)दी गई अभिक्रिया का वास्तविक प्रारूप निम्न प्रकार है-

समीकरण (iii) प्रदर्शित करती है कि O2 का एक अणु O3 से प्राप्त होता है, जबकि दूसरा H2O2 से प्राप्त होता है। इसलिए, समीकरण को प्रदर्शित करने की यह विधि अधिक उपयुक्त है। समीकरण () तथा () का अन्वेषण ट्रेसर तकनीक (tracer technique) के द्वारा किया जा सकता है। समीकरण () में H2O18 तथा समीकरण () में H2O18 (या O183)का प्रयोग कर अभिक्रिया के पथ को निर्धारित किया जा सकता है।

Question - 10 : - AgF2 एक अस्थिर यौगिक है। यदि यह बन जाए तो यह यौगिक एक अति शक्तिशाली ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करता है। क्यों?

Answer - 10 : - AgF2 में,Ag की ऑक्सीकरण-अवस्था +2 होती है जो Ag की अत्यधिक अस्थायी अवस्था है। इसलिए, यह एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने के बाद शीघ्रता से अपचयित होकर स्थायी ऑक्सीकरण-अवस्था +1 प्राप्त कर लेता है।

इसी कारण AgF2 (यदि प्राप्त हो जाये) एक अत्यन्त प्रबल ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार करता है।

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