Question -
Answer -
लेखक ने अपनी जापान यात्रा के दौरान हिरोशिमा का दौरा किया था। वह उस अस्पताल में भी गया जहाँ आज भी उस भयानक विस्फोट से पीड़ित लोगों का ईलाज हो रहा था। इस अनुभव द्वारा लेखक को, उसका भोक्ता बनना स्वीकारा नहीं था ।कुछ दिन पश्चात् जब उसने उसी स्थान पर एक बड़े से जले पत्थर पर एक व्यक्ति की उजली छाया देखी, विस्फोट के समीप कोई व्यक्ति उस स्थान पर खड़ा रहा होगा। विस्फोट से विसर्जित रेडियोधर्मी पदार्थ ने उस व्यक्ति को भाप बना दिया और पत्थर को झुलसा दिया। इस प्रत्यक्ष अनुभूति ने लेखक के हृदय को झकझोर दिया। उसे प्रतीत हुआ मानो किसी ने उसे थप्पड़ मारा हो और उसके भीतर उस विस्फोट का भयानक दृश्य प्रज्वलित हो गया। उसे जान पड़ा मानो वह स्वयं हिरोशिमा बम का उपभोक्ता बन गया हो।