MENU

Chapter 7 छाया मत छूना Solutions

Question - 11 : -
कवि के जीवन की कौन-सी यादें उसे दुखी कर रही हैं?

Answer - 11 : -

कवि के जीवन में अनेक रंग-बिरंगी और सुंदर यादें हैं जो समय-समय पर उसे गुदगुदा जाती हैं। उन यादों के माध्यम से बने चित्रों की सुगंध मनभावनी महसूस हो रही है। ये यादें और इन यादों की सुगंध अब वैसी नहीं रही। उसका समय अब उतना सुखद नहीं रहा। अतः कवि इन यादों से दुख महसूस कर रहा है।

Question - 12 : -
‘भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण’ से कवि का क्या आशय है?

Answer - 12 : -

‘भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण’ से कवि का आशय है-कवि के द्वारा अपनी प्रिया के साथ बिताए पलों को भूलकर भी याद कर लेने से वे पल चलचित्र की भाँति सजीव होकर आँखों के सामने घूम जाते हैं। इन दृश्यों की क्रमिक याद आने से कवि का दुख बढ़ जाता है।

Question - 13 : -
‘जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

Answer - 13 : -

‘जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया’ के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि यश, वैभव और मान-सम्मान, प्रतिष्ठा जैसा कुछ नहीं है। ये भौतिक वस्तुएँ छलावा मात्र हैं। इनको पाने के लिए व्यक्ति जितना ही भागता है उतना ही भ्रमित होता है क्योंकि उसके हाथ कुछ नहीं लगता है। इन भौतिक वस्तुओं को पाने के लिए भ्रमित रहता है।

Question - 14 : -
‘हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है’ पंक्ति में कवि हमें किस यथार्थ एवं सत्य से अवगत कराना चाहता है?

Answer - 14 : -

‘हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है’ पंक्ति के माध्यम से कवि हमें यह बताना चाहता है कि जिस प्रकार हर चाँदनी रात के बाद अमावस्या की रात अवश्य ही आती है उसी प्रकार मानव जीवन में सुख के बाद दुख का आना अवश्यंभावी होता है। अतः मनुष्य को सुख के बाद दुख सहने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

Question - 15 : -
कविता में यथार्थ स्वीकारने की बात क्यों कही गई है?

Answer - 15 : -

‘छाया मत छूना’ कविता में यथार्थ को स्वीकारने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि वर्तमान का यथार्थ ही सत्य होता है। भूतकाल की बातें बनकर रह जाती हैं और भविष्य के बारे में कुछ ज्ञान नहीं होता है। अच्छे भविष्य के बारे में सोचते रहना कल्याण करना है। यथार्थ से ही हमारा जीवन चलता है। ये यथार्थ हमारे साहस और धैर्य की परीक्षा लेते हैं तथा जीवन पथ को सुगम बनाते हैं।

Question - 16 : -
प्रभुता की कामना को मृगतृष्णा क्यों कहा गया है?

Answer - 16 : -

प्रभुता की कामना को मृगतृष्णा इसलिए कहा गया है क्योंकि जिस तरह रेगिस्तान में भीषण गरमी में दूर चमकती रेत देखकर हिरन को पानी का भ्रम होता है, वह भागकर उसके पास जाता है, परंतु उसे निराश होना पड़ता है। उसी प्रकार प्रभुता या बड़प्पन का अहसास एक भ्रम है, जिसके पीछे व्यक्ति आजीवन भागता रहता है परंतु हासिल कुछ नहीं होता है।

Question - 17 : -
‘छाया मत छूना’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
अथवा
‘छाया मत छूना’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।


Answer - 17 : -

‘छाया मत छूना’ कविता के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि जीवन में सुख और दुख दोनों आते-जाते रहते हैं। विगत समय के सुख को याद करके वर्तमान के दुख को बढ़ा लेना अनुचित है। विगत की सुखद काल्पनिकता से जुड़े रहना और वर्तमान के यथार्थ से भागने की अपेक्षा उसकी स्वीकारोक्ति श्रेयकर है। यह कविता अतीत की यादों को भूलकर वर्तमान का सामना करने एवं भविष्य के वरण का संदेश देती है।

Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×