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Question -

इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।



Answer -

लेखक देखता है कि दिनों दिन जंगलों की सफ़ाई होती जा रही है। समुद्र के किनारे ऊँचे-ऊँचे भवन बनाए जा रहे हैं। इन स्थानों पर मानवों की बस्ती बन जाने से वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हुआ है। इस कारण पक्षी एवं जानवर दोनों ही अन्यत्र जाने को विवश होकर शहर से कोसों दूर चले गए हैं। कुछ पक्षी प्राकृतिक आवास के अभाव में इधर-उधर भटक रहे हैं। वे मनुष्य के घरों की दालानों और छज्जों पर घोंसला बनाने को विवश हैं।

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