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Question -

धनराम को मोहन के लिए व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों?



Answer -

मोहन ब्राह्मण जति का था। उस गाँव में ब्राहमण स्वयं को श्रेष्ठ समझते थे तथा शिल्पकारों के साथ उठते-बैठते नहीं थे। यदि उन्हें बैठने के लिए कह दिया जाता तो भी उनकी मार्यादा भंग होती थी। धनराम की दुकान पर काम खत्म होने के बाद भी मोहन देर तक बैठा रहा। यह देखकर धनराम हैरान हो गया। वह और अधिक हैरान तब हुआ जब मोहन ने उसके हाथ से हथौड़ा नेकर लोहे पर नपी-तुली चोट मारने लगा और धौंकनी फेंकते हुए भट्ठी में गरम किया और ठोक पीठकर उसे गोल रूप दे रहा था।

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