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Question -

अक्षय स्पष्ट करें –
आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।



Answer -

लेखक अमावस्या की रात की विभीषिका का चित्रण करता है। महामारी के कारण गाँव में सन्नाटा है। ऐसी स्थिति में कोई भावुक तारा आकाश से टूटकर अपनी रोशनी गाँव वालों को देना चाहे तो भी उसकी चमक व शक्ति रीस्ते में ही खत्म हो जाती है। तारे धरती से बहुत दूर हैं। भावुक तारे की असफलता पर अन्य तारे खिलखिलाकर हँसने लगते हैं। दूसरे शब्दों में, स्थिर तारे चमकते हुए लगते हैं तथा टूटा हुआ तारा समाप्त हो जाता है।

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