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Question -

कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में क्या तालमेल था? पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज़ आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।



Answer -

कुश्ती के समय जब ढोल बजती थी तो लुट्टन की रगों में अजीब-सी हलचल पैदा हो जाती थी। उसका खून हर थाप पर उबलने लगता था। उसे ढोल की थाप प्रेरणा देती थी। उनके दाँव-पेंचों में अचानक फुरती और गति बढ़ जाती थी। पाठ में कई ध्वन्यात्मक शब्दों का उल्लेख भी कहानीकार ने किया है। ये शब्द हमारे मन को रंजित करते हैं, साथ ही हमें यह प्रेरणा भी देते प्रतीत होते हैं। इन शब्दों से मन में कुछ करने की लालसा जोर मारने लगती है। परोक्ष रूप से ये शब्द शक्ति देते हैं।

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