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Question -

मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?



Answer -

मनुष्य स्वयं अपने व्यवहार से किसी का भी मन मोह सकता है अथवा अपने व्यवहार से ही शत्रु बना सकता है। नीचे दिए गए दोहे से कबीर दास जी ने इसकी पुष्टि की है-

”जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।

या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय||”

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