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Question -

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए −

(क) टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।
(ग) रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।
(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
(ङ) नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
(च) जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।
(छ) पानी गए न उबरै, मोती, मानुष, चून।



Answer -

(क) कवि प्रेम रूपी धागा न तोड़ने की बात कहता है कि एक बार यह टूट जाए तो सामान्य स्थिति नहीं आ पाती है। उसे जोड़ भी दिया जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है क्योंकि इसके टूटने पर अविश्वास और संदेह का भाव आ जाता है।

(ख) कवि का कहना है कि अपना दुख किसी के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए क्योंकि सब लोग सुनकर हँस लेते हैं मज़ाक कर लेते हैं परन्तु उसे बाँटता कोई भी नहीं है।

(ग) इन पंक्तियों द्वारा कवि एक ईश्वर की आराधना पर ज़ोर देते हैं। इसके समर्थन में कवि वृक्ष की जड़ का उदाहरण देते हैं कि जड़ को सींचने से पूरे पेड़ पर पर्याप्त प्रभाव हो जाता है। अलग-अलग फल, फूल, पत्ते सींचने की आवश्यकता नहीं होती।

(घ) कवि कहता है कि अच्छी वस्तु या ज्ञान थोड़ा सा ही पर्याप्त होता है। जिस प्रकार दोहे में अक्षर बहुत कम होते हैं परन्तु उसके अर्थ में गम्भीरता होती है, उसी प्रकार थोड़ा-सा ज्ञान भी अच्छा परिणाम देता है।

(ड़) जिस तरह संगीत की मोहनी तान पर रीझकर हिरण अपने प्राण तक त्याग देता है। इसी प्रकार मनुष्य धन कला पर मुग्ध होकर धन अर्जित करने को अपना उद्देश्य बना लेता है और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वो सब कुछ त्यागने को भी तैयार हो जाता है।

(च) हर छोटी वस्तु का अपना अलग ही महत्व होता है। जिस प्रकार कपड़ा सिलने में तलवार जैसी बड़ी चीज़ भी मद्दगार नहीं होती है, वहाँ सूई की ही आवश्यक्ता पड़ती है, उसी प्रकार छोटा व्यक्ति जहाँ काम आ सकता है वहाँ बड़े व्यक्ति का कोई महत्व नहीं होता है। इसलिए छोटी वस्तु की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

(छ) जीवन में पानी के बिना सब कुछ बेकार है। इसे बनाकर रखना चाहिए, जैसे चमक या आब के बिना मोती बेकार है, पानी अर्थात सम्मान के बिना मनुष्य का जीवन बेकार है और बिना पानी के आटा या चूना काम नहीं करता है। इसमें पानी की आवश्यकता होती है।

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