Question -
Answer -
(i) पौधे के सभी भूमिगत भाग सदैव मूल नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए
आलू, अरबी आदि। ये तने के रूपान्तरण हैं। ये भूमिगत तना हैं। इन्हें कन्द कहते हैं तथा ये भोजन संचयन का कार्य करते है। ये तना हैं इसकी पुष्टि अग्रवत् की जा सकती है
1. इन पर आँख (eye) मिलती है जो वस्तुत: कक्षस्थ कलिका की सुरक्षा करती है।
2. यदि इसे अंकुरण के लिए रखा जाए तो इस कक्षस्थ कलिका से शाखा निकलती है।
3. जड़ में कोई पर्व अथवा पर्व सन्धि नहीं होती है; अत: किसी प्रकार का अंकुरण होने के लिए। कक्षस्थ कलिका भी नहीं होती है।
(ii) फूल एक रूपान्तरित प्ररोह है (Flower is a modified shoot) :
पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह (modified shoot) है। पुष्प का पुष्पासन अत्यन्त संघनित अक्षीय तना है। इसमें पर्वसन्धियाँ अत्यधिक पास-पास होती हैं। पर्व स्पष्ट नहीं होते। झुमकलता (Passiflord suberosa) में बाह्यदले तथा दल पुष्पासन के समीप लगे होते हैं, लेकिन पुंकेसर वे अण्डप कुछ ऊपर एक सीधी अक्ष पर होते हैं। इसे पुमंगधर (androphore) कहते हैं। हुरहुर (Gynandropsis) में पुष्प दलपुंज व पुमंग के मध्य पुमंगधर तथा पुमंग एवं जायांग के मध्य जायांगधर (gynophore) पर्व स्पष्ट होता है। कभी-कभी गुलाब के पुष्पासन की वृद्धि नहीं रुकती और पुष्प के ऊपर पत्तियों सहित अक्ष दिखाई देती है।
दल, पुंकेसर, अण्डप, पत्तियों के रूपान्तरण हैं। मुसेन्डा (Mussgenda) में एक बाह्यदल पत्ती सदृश रचना बनाता है। गुलाब में बाह्यदल कभी-कभी पत्ती सदृश रचना प्रदर्शित करते हैं। लिली (निम्फिया) बाह्यदल एवं दल के मध्य की पत्ती जैसी रचना है। गुलाब, कमल, केना आदि में अनेक पुंकेसर दलों में बदले दिखाई देते हैं। आदिपादपों के पुंकेसर पत्ती समान थे; जैसे-ऑस्ट्रोबेलिया (Austrobaileya) में प्रदर्शित होता है।