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Question -

वायुमण्डल के संघटन की व्याख्या करें।



Answer -

वायुमण्डल विभिन्न गैसों का सम्मिश्रण है। इसमें ठोस व तरल पदार्थों के कण असमान मात्रा में तैरते रहते हैं। इसका संघटन सामान्यतः तीन प्रकार के पदार्थों के संयोग से हुआ है–
1. गैस–वायुमण्डल की संरचना में गैसों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। शुष्क वायु में प्रमुखत: नाइट्रोजन 78.8% ऑक्सीजन 20.95% तथा आर्गन, कार्बन डाइऑक्साइड व हाइड्रोजन आदि लगभग 0.25% जैसी भारी गैसें पाई जाती हैं। प्रायः धरातल के निकट भारी एवं सघन गैसें तथा ऊपरी भाग में नियॉन, हीलियम व ओजोन जैसी कई हल्की गैसें होती हैं।

2. जलवाष्प-जलवाष्प वायुमण्डल का सर्वाधिक परिवर्तनशील तत्त्व है। वायु में इसकी अधिकतम मात्रा 5% तक होती है। वायुमण्डल को जलवाष्प की प्राप्ति झीलों, सागरों, महासागरों आदि से वाष्पीकरण क्रिया द्वारा होती है। यह क्रिया तापमान पर निर्भर होती है।

3. धूलकण-वायुमण्डल के निचले भाग में अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं जो धूलकणों के कारण होती हैं। इनकी उत्पत्ति बालू, मिट्टी उड़ने, समुद्री लवण, ज्वालामुखी, राख, उल्कापात तथा धुएँ के कणों से होती है धूल के ये कण आर्द्रताग्राही होते हैं; अत: संघनन में इनका बहुत योगदान होता है। कोहरे व मेघों का निर्माण इनके ही सहयोग से होता है। यह वायुमण्डल की पारदर्शिता को भी प्रभावित करते हैं।

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