Chapter 14 जैव अणु (Biomolecules) Solutions
Question - 21 : - प्रोटीन की द्वितीयक संरचना के सामान्य प्रकार क्या हैं?
Answer - 21 : - किसी प्रोटीन की द्वितीयक संरचना का सम्बन्ध उस आकृति से है जिसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला विद्यमान होती है। यह दो भिन्न प्रकार की संरचनाओं में विद्यमान होती हैं α – हेलिक्स तथा β – प्लीटेड शीट संरचना। ये संरचनाएँ पेप्टाइड आबन्ध के

तथा – NH -समूह के मध्य हाइड्रोजन आबन्ध के कारण पॉलिपेप्टाइड की मुख्य श्रृंखला के नियमित कुण्डलन में उत्पन्न होती हैं।
Question - 22 : - प्रोटीन की -हेलिक्स संरचना के स्थायीकरण में कौन-से आबन्ध सहायक होते हैं?
Answer - 22 : - प्रोटीन की z-हेलिक्स संरचना एक ऐमीनो अम्ल अवशिष्ट के C=0 तथा चतुर्थ ऐमीनो अम्ल अवशेष के N – H के मध्य अन्तरा – आणविक H-आबन्ध द्वारा स्थायित्व प्राप्त करती है।
Question - 23 : - रेशेदार तथा गोलिकाकार (globular) प्रोटीन को विभेदित कीजिए।
Answer - 23 : -
(i) रेशेदार प्रोटीन (Fibrous proteins) :
जब पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएँ समानान्तर होती हैं। तथा हाइड्रोजन एवं डाइसल्फाइड आबन्धों द्वारा संयुक्त रहती हैं तो रेशासम (रेशे जैसी) संरचना बनती है। इस प्रकार के प्रोटीन सामान्यत: जल में अविलेय होती हैं। रेशेदार प्रोटीन जन्तु ऊतकों की प्रमुख संरचनात्मक पदार्थ होती हैं। कुछ सामान्य उदाहरण किरेटिन (बाल, ऊन तथा रेशम में उपस्थित) तथा मायोसिन (मांसपेशियों में उपस्थित) आदि हैं।
(ii) गोलिकाकार प्रोटीन (Globular proteins) :
जब पॉलिपेप्टाइड की श्रृंखलाएँ कुण्डली बनाकर गोलाकृति प्राप्त कर लेती हैं तो ऐसी संरचनाएँ प्राप्त होती हैं। ये सामान्यतः जल में विलेय होती हैं क्योकि इनके अणु दुर्बल अन्तराअणुक बलों द्वारा जुड़े रहते हैं। इन्सुलिन तथा ऐल्बुमिन इनके सामान्य उदाहरण
Question - 24 : - ऐमीनो अम्लों की उभयधर्मी प्रकृति को आप कैसे समझाएँगे?
Answer - 24 : - ऐमीनो अम्ल में एक कार्बोक्सिल समूह (अम्लीय) तथा एक ऐमीन समूह (क्षारीय) समान अणु में पाए जाते हैं। जलीय विलयन में -COOH समूह एक H+ खोता है तथा —NH2, समूह इसे स्वीकार करता है। इस प्रकार ज्विट्टर आयन (zwitter ion) का निर्माण होता है।

द्विध्रुवीय या ज्विट्टर आयन संरचना के कारण ऐमीनो अम्ल उभयधर्मी (amphoteric) प्रकृति के होते हैं। ऐमीनो अम्ल की अम्लीय प्रकृति
के कारण होती है तथा क्षारीय प्रकृति COO– समूह के कारण होती है।
Question - 25 : - एन्जाइम क्या होते हैं
Answer - 25 : -
एन्जाइम जैव-उत्प्रेरक होते हैं। जीवधारियों में होने वाली विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाओं में समन्वयन के कारण ही जीवन सम्भव होता है।
उदाहरणार्थ :
भोजन का पाचन, उपयुक्त अणुओं का अवशोषण तथा अन्तत: ऊर्जा का उत्पादन। इस प्रक्रम में अभिक्रियाएँ एक अनुक्रम में होती हैं तथा ये सभी अभिक्रियाएँ शरीर में मध्यम परिस्थितियों में सम्पन्न होती हैं। यह कुछ जैव-उत्प्रेरकों की सहायता से होता है। इन्हीं जैव-उत्प्रेरकों को एन्जाइम कहा जाता है। रासायनिक रूप में लगभग सभी एन्जाइम गोलिकाकार प्रोटीन होते हैं। एन्जाइम किसी विशेष अभिक्रिया अथवा विशेष क्रियाधार के लिए विशिष्ट होते हैं अर्थात् प्रत्येक जैव-तन्त्र के लिए भिन्न एन्जाइम की आवश्यकता होती है, इसलिए एन्जाइम अन्य प्रचलित उत्प्रेरकों से भिन्न होते हैं। ये अत्यन्त सक्रिय होते हैं तथा इनकी अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा की ही आवश्यकता होती है। ये अनुकूल ताप (310K) तथा pH(7.4) एवं एक वायुमण्डलीय दाब पर कार्य करते हैं।
Question - 26 : - प्रोटीन की संरचना पर विकृतीकरण का क्या प्रभाव होता है?
Answer - 26 : -
प्रोटीन ऊष्मा, खनिज अम्ल, क्षार आदि की क्रिया के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। गर्म करने या खनिज अम्लों की क्रिया कराने पर गोलिकामय प्रोटीन (विलेय प्रोटीन) स्कन्दित या अवक्षेपित होकर तन्तुमय प्रोटीन देते हैं जोकि जल में अविलेय होते है जिसके परिणामस्वरूप प्रोटीन की जैव सक्रियता समाप्त हो जाती है। रासायनिक रूप से विकृतिकरण प्राथमिक संरचना को परिवर्तित नहीं करता है, लेकिन प्रोटीन की द्वितीयक तथा तृतीयक संरचनाएँ परिवर्तित हो जाती हैं।
Question - 27 : - विटामिनों को किस प्रकार वर्गीकृत किया गया है? रक्त के थक्के जमने के लिए जिम्मेदार विटामिन का नाम दीजिए।
Answer - 27 : -
विटामिनों को जल या वसा में विलेयता के आधार पर दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है
- जल में विलेय विटामिन (Water soluble vitamins) : विटामिन B-कॉम्प्लेक्स तथा विटामिन Cl
- वसा में विलेय विटामिन (Fat soluble vitamins) : विटामिन A, D, E, K आदि। विटामिन K रक्त के थक्के जमने के लिए उत्तरदायी है।
Question - 28 : - विटामिन A व C हमारे लिए आवश्यक क्यों हैं? उनके महत्त्वपूर्ण स्रोत दीजिए।
Answer - 28 : -
विटामिन A की कमी से जीरोफ्थैल्मिया(xerophthalmia) तथा रतौंधी (night blindness) हो जाते हैं, अत: इसका प्रयोग हमारे लिए आवश्यक होता है।
(i) स्रोत (Sources) :
मछली के यकृत का तेल, गाजर, मक्खन तथा दूध। विटामिन C की कमी से स्कर्वी (scurvy) तथा पायरिया हो जाता है।
(ii) स्रोत (Sources) :
नींबू, आँवला, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, अंकुरित अनाज आदि।
Question - 29 : - न्यूक्लीक अम्ल क्या होते हैं? इनके दो महत्त्वपूर्ण कार्य लिखिए।
Answer - 29 : -
न्यूक्लीक अम्ल वे जैव-अणु होते हैं जो सभी जीवित कोशिकाओं के नाभिकों में न्यूक्लियो- प्रोटीन अथवा क्रोमोसोम के रूप में पाए जाते हैं। न्यूक्लीक अम्ल मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं—डिऑक्सीराइबोस न्यूक्लीक अम्ल (DNA) तथा राइबोसन्यूक्लीक अम्ल (RNA)। चूंकि न्यूक्लीक अम्ल न्यूक्लियोटाइडों की लम्बी श्रृंखला वाले बहुलक होते हैं, अतः इन्हें पॉलिन्यूक्लियोटाइड भी कहते हैं। न्यूक्लीक अम्लों के दो महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं
(i) DNA आनुवंशिकता का रासायनिक आधार है तथा इसे आनुवंशिक सूचनाओं के संग्राहक के रूप में जाना जाता है। DNA लाखों वर्षों से किसी जीव की विभिन्न प्रजातियों की पहचान बनाए रखने के लिए विशिष्ट रूप से उत्तरदायी है। कोशिका विभाजन के समय एक DNA अणु स्वप्रतिकरण (self replication) में सक्षम होता है तथा पुत्री कोशिका में समान DNA रज्जुक का अन्तरण होता है।
(ii) न्यूक्लीक अम्ल (DNA तथा RNA) का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण है। वास्तव में कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण विभिन्न RNA अणुओं द्वारा होता है, परन्तु किसी विशेष प्रोटीन के संश्लेषण का सन्देश DNA में उपस्थित होता है।
Question - 30 : - न्यूक्लियोसाइड तथा न्यूक्लियोटाइड में क्या अन्तर होता है?
Answer - 30 : -
1. न्यूक्लियोसाइड (Nucleosides) :
न्यूक्लियोसाइड में न्यूक्लिक अम्ल के दो आधारीय घटक होते हैं—पेण्टोस शर्करा तथा एक नाइट्रोजनी क्षारक।
नाइट्रोजनी क्षारक + पेन्टोस शर्करा → न्यूक्लियोसाइड
उपस्थित शर्करा के आधार पर न्यूक्लियोसाइड राइबोसाइड तथा डीऑक्सीराइबोसाइड प्रकार के होते हैं।
2. न्यूक्लियोटाइड (Nucleotides) :
न्यूक्लियोटाइड में न्यूक्लिक अम्लों के तीनों घटक अर्थात् H3 PO4,पेण्टोस शर्करा तथा नाइट्रोजनी क्षारक पाए जाते हैं।
नाइट्रोजनी क्षारक + पेन्टोस शर्करा + H3 PO4 → न्यूक्लियोटाइड या न्यूक्लियोसाइड + H3 PO4 → न्यूक्लियोटाइड
उपस्थित शर्करा के प्रकार के आधार पर न्यूक्लियोटाइड दो प्रकार के होते हैं
- राइबोन्यूक्लियोटाइड
डीऑक्सीराइबोन्यूक्लियोटइड।